Published By:धर्म पुराण डेस्क

भीष्म पंचक 2023: पापों से मुक्ति पानें के लिए करें ये भीष्म पंचक का 5 दिन का व्रत

हिंदू धर्म में पंचक के पांच दिन अशुभ माने गए हैं, लेकिन कार्तिक माह में आने वाले भीष्म पंचक बहुत शुभ माने गए हैं। इस दौरान व्रत रखने वालों को पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।

भीष्म पंचक कब से शुरू होंगे?

साल 2023 में भीष्म पंचक 23 नवंबर से 27 नवंबर 2023 तक रहेगा। इस साल भीष्म पंचक का पहला दिन 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगा और अंतिम दिन 27 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा होगी।

भीष्म पंचक का महत्व

महाभारत के अनुसार, पितामह भीष्म ने देवउठनी एकादशी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक पांडवों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बारे में उपदेश दिया था। इस दौरान उन्होंने पांडवों को पापों से मुक्ति पाने का भी मार्गदर्शन किया था। इसीलिए इस अवधि को भीष्म पंचक कहा जाता है।

भीष्म पंचक के पांच दिनों तक व्रत रखने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

* पापों से मुक्ति मिलती है।

* मन शांत और प्रसन्न रहता है।

* मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

* कार्यों में सफलता मिलती है।

* धन-धान्य और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

भीष्म पंचक व्रत के नियम

* पूरे पांच दिनों तक अन्न का त्याग करना चाहिए। केवल फलाहार करना चाहिए।

* इन पांच दिनों में किसी भी बुजुर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए।

* रोजाना पीपल और तुलसी की पूजा करनी चाहिए।

* व्रत की शुरुआत में अखंड ज्योति जलानी चाहिए और रोजाना गीता का पाठ करना चाहिए।

* भीष्म पंचक व्रत के अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा पर हवन करना चाहिए और श्रीहरि की पूजा कर व्रत संपन्न करना चाहिए।

भीष्म पंचक व्रत का महत्व

* व्यक्ति के पाप कर्मों का नाश होता है।

* व्यक्ति को पुण्य कर्मों का फल मिलता है।

* व्यक्ति का मन शांत और प्रसन्न रहता है।

* व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

* व्यक्ति के कार्यों में सफलता मिलती है।

* व्यक्ति को धन-धान्य और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

भीष्म पंचक व्रत की कथा

महाभारत के अनुसार, पितामह भीष्म ने उत्तरायण होने का इंतजार कर रहे थे। तब पांडव और श्रीकृष्ण उनके पास गए और उनसे उपदेश देने का आग्रह किया। पितामह ने पांडवों को पांच दिनों तक धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बारे में उपदेश दिया। उन्होंने पांडवों को पापों से मुक्ति पाने का भी मार्गदर्शन किया। 

उनके उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण संतुष्‍ट होकर बोले, ‘पितामह! आपने शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है। मैं इस स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूं। जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष प्राप्त करेंगे।’

इस प्रकार, भीष्म पंचक व्रत का विधान हुआ। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।

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