भगवान को भोग लगाने के समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करने से भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सकते हैं। यहां आपके लिए कुछ नियम, मंत्र, और पूजा टिप्स प्रस्तुत किए गए हैं:
भोग का तैयारी करने की विधि: भोग को तैयार करते समय शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखें। कपड़े, बर्तन आदि को साफ और शुद्ध करें। अगर संभव हो तो स्नान करके या हाथ धोकर ही भोग तैयार करें।
सात्विक भोग: भगवान को सात्विक भोग अत्यंत प्रिय होता है। सात्विक भोग में प्राणी हिंसा से दूर रहें और अच्छी गुणवत्ता के सामग्री का उपयोग करें। फल, नट्स, दूध, मिष्ठान, घी, ताजगार, मिठाई, और प्राणीहित रहित सामग्री इसमें शामिल हो सकती हैं।
मंत्रों का जाप: भोग लगाने के समय विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। आप भगवान की प्रार्थना करते हुए निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं:
"अमृतोपमं गम्भीरं मधुपूर्णं त्रिपुरांधकम्।
जटाजूट गणेशं च ध्यायामि परमेश्वरम्॥"
जूठा भोग न चढ़ाएं: कभी भी भगवान को जूठा भोग नहीं चढ़ाना चाहिए। भोग को चखने के बाद उसे भगवान को न चढ़ाएं, बल्कि उसे अलग रखें और फिर उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।
भोग लगाते समय मंत्रों का जाप: भोग लगाते समय उच्चारण के लिए यह मंत्र उपयोग किया जा सकता है:
"त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।"
पूजा के नियमों का पालन: भोग लगाने से पहले पूजा के नियमों का पालन करें। विधिपूर्वक पूजा करें, आरती दें और ध्यान करें।
भगवान के लिए समर्पण: भोग लगाते समय मन में विशेष भावना के साथ भगवान को भोग समर्पित करें। अपनी भक्ति और प्रेम के साथ भोग को भगवान के चरणों में समर्पित करें।
दूसरों के साथ भोग साझा करें: भगवान के भोग को दूसरों के साथ साझा करने का अनुभव करें। भोग को प्रसाद के रूप में परिवार और मित्रों के साथ बांटे और उन्हें आनंदित करें।
पूजा के निमित्त से जीवन में सम्पूर्ण बदलाव: भोग लगाते समय भगवान के लिए जो भी भोग चढ़ाया जाता है, वह सब कुछ उन्हीं का होना चाहिए। इसका जीवन में सम्पूर्ण बदलाव लाने का प्रयास करें और उनकी कृपा और आशीर्वाद का प्राप्ति करें।
जब भी आप भगवान के लिए भोग लगाते हैं, आप इन आदर्शों और नियमों का पालन कर सकते हैं:
शुद्धता: भोग लगाने से पहले, अपने शरीर और कपड़ों को शुद्ध करें। स्नान करें और साफ-सफाई का ध्यान रखें। ध्यान दें कि आपके हाथ साफ हों और खाद्य सामग्री स्वच्छ हो।
सात्विक भोग: भोग को सात्विक भोग के रूप में चुनें। यह स्वास्थ्यप्रद, प्राकृतिक और मैत्री भावना से युक्त होता है। फल, फूल, नट्स, मिश्रित धान्य, चीज़ें, घी, मिठाई, दूध आदि कुछ सामान्य सात्विक भोग विकल्प हो सकते हैं।
मंत्रों का उच्चारण: भोग लगाने के समय उच्चारण के लिए विशेष मंत्रों का उपयोग करें। इन मंत्रों के उच्चारण से भोग को शुद्ध और पवित्र माना जाता है। आप अपने धर्मीय पुस्तकों, ग्रंथों या आपके गुरुओं द्वारा सुझाए गए मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं।
अन्न विधि: भोग लगाने के लिए अन्न विधि का पालन करें। यह धर्म शास्त्रों और परंपराओं में वर्णित होती है। अन्न विधि में भोग के नियमित तरीके से तैयार करने, प्रतिष्ठित स्थान पर रखने, मंत्रों का उच्चारण करके और प्रसाद के रूप में बांटने की विधि शामिल होती है।
नियमितता: भगवान के लिए भोग लगाने का नियमित रूप से अभ्यास करें। आप अपनी व्यक्तिगत सामरिक कार्यक्रम के हिसाब से नियमितता बना सकते हैं, जैसे कि रोजाना, साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक भोग लगाना।
समर्पण: भोग को भगवान के लिए समर्पित करें। यह मन, वचन और कर्म से होता है। अपने मन को शांत रखें, भगवान के लिए मंत्रों का उच्चारण करें और भोग को एक आदर्श समर्पण के साथ उनके समक्ष रखें।
आदर्श समर्पण: भोग को आदर्श समर्पण की भावना के साथ उन्हें प्रस्तुत करें। इसका मतलब है कि आप भोग को सावधानीपूर्वक, संकोच रहित, प्रेम और सम्मान के साथ प्रस्तुत करें।
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