 Published By:धर्म पुराण डेस्क
 Published By:धर्म पुराण डेस्क
					 
					
                    
यह देश का दुर्भाग्य है कि देशवासी आचार-विचार की दृष्टि से भ्रष्टाचार की और आहार-विहार की दृष्टि से विषाक्त प्रदूषण की चक्की में पिस रहे हैं।
जहां भ्रष्ट आचरण हमारे चरित्र और स्वभाव को दूषित कर रहा है वहां दूषित एवं विषाक्त पर्यावरण हमारे शरीर और स्वास्थ्य का नाश कर रहा है।
इसकी रफ्तार चूंकि बहुत धीमी है इसलिए इसका पता हमें उसी तरह से नहीं चल रहा है जैसे इस पृथ्वी के घूमने का नहीं चलता। लेकिन पता न भी चले तो भी हम इसके दुष्परिणामों से बच नहीं सकेंगे। शायद हम में से अधिकांश लोगों को इस खतरे के विषय में कुछ खबर ही नहीं है।
देश के अनेक शरीर शास्त्री, वैज्ञानिक, पर्यावरण विशेषज्ञ और स्वास्थ्य संगठन इस तथ्य से चिंतित हैं कि हमारे देश का सिर्फ़ जल और वायु ही प्रदूषित नहीं हो रहा है बल्कि अनाज, फल, दूध, साग-सब्जी आदि खाद्य और पेय पदार्थ भी विषाक्त होते जा रहे हैं|
जो देश में नाना प्रकार के रोग उत्पन्न कर रहे हैं। इस विषाक्त प्रभाव का मूल कारण है इन पर छिड़का जाने वाला कीटनाशक पाउडर डी.डी.टी. और बी.एच.सी. जो इसलिए छिड़का जाता है कि फसल को नष्ट करने वाले कीड़ों और मलेरिया पैदा करने वाले मच्छरों का नाश हो सके। सिर्फ़ खाद्यान्न ही नहीं, पीने का जल और हमारी सांस की वायु भी दूषित हो रही है यहां तक कि दूध में भी यह विषाक्त प्रभाव पाया जाने लगा है।
मांसाहारी तो और भी संकट में हैं क्योंकि कीटनाशक दवाओं से दूषित चारा खाने वाले पशुओं का मांस, मुर्गे, अण्डे, मछलियां आदि सभी इस विषाक्त प्रभाव से दूषित पाये गये हैं क्योंकि पशु, मुर्गे मुर्गियां और मछलियां अपने आहार की साफ़-सफ़ाई करके तो खाने से रहे।
मांसाहारियों में इसी कारण नाना प्रकार के रोग तेजी से बढ़ रहे हैं और लोग हैं कि मजे से मांस और अंडे खाये जा रहे हैं। अब तो टी.वी. भी अण्डों का प्रचार करने लगा है सो जो नहीं खाते वे भी खाने के लिए उत्सुक हो उठेंगे।
इस स्थिति से बचाव करने का क्या उपाय हो सकता है इस पर ध्यान दें, लापरवाही न करें। साग-सब्जी फल आदि को अच्छी तरह से धो कर ही प्रयोग करें। दूध को उबालकर कुनकुना गर्म ही सेवन करें। पानी दूषित हो तो उबालकर ठंडा करके सेवन करें और ढक कर रखें।
मांस अंडा ही नहीं, बाजारू चीजें, रंगीन मिठाइयां, मीठे पेय आदि का प्रयोग भी आपके शरीर को दूषित कर सकता है यह न भूलें। अपने शरीर को स्वस्थ और रोग प्रतिरोधक शक्ति से भरपूर रखें ताकि वह इस प्रदूषण का मुकाबला कर सके। इसके लिए उचित आहार-विहार और श्रेष्ठ आचार-विचार का पालन करना अनिवार्य है।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                