यह होगा शुभ योग:
चैत्र नवरात्रि में सर्वार्थ सिद्धि योग से रवि पुष्य नक्षत्र बनेगा, रवि योग नवरात्रि को सहज बना देगा। सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध लक्ष्मी से है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में काम शुरू करने से काम पूरा होता है। वहीं रवि योग को सभी दोषों का नाश करने वाला माना जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र मास को हिन्दू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है और इसी महीने में चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना का पर्व मनाया जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कुल चार नवरात्र हैं। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है।
नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है और अगले दिन से ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कुष्मांडा माता, स्कंदमाता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी माता और सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों के दौरान भक्त मां की कृपा पाने के लिए भक्ति के साथ उपवास करते हैं।
इस साल चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल, शनिवार से शुरू हो रहे हैं। जो सोमवार 11 अप्रैल को समाप्त होगा। चैत्र के महीने में नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के रूप में जाना जाता है और शरद ऋतु में नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के रूप में जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि का धार्मिक महत्व:
चैत्र नवरात्रि को नए साल की पहली नवरात्रि माना जाता है। इसलिए इस नवरात्रि का धार्मिक महत्व है। ब्रह्म पुराण के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन आदिशक्ति प्रकट हुई थी। और मान्यता है कि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन ही देवी के आदेश से ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी।
मत्स्य पुराण के अनुसार चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसके बाद चैत्र नवरात्रि में श्री विष्णु ने भगवान राम के रूप में अपना सातवां अवतार लिया। इसलिए चैत्र नवरात्रि का महत्व अपने आप बढ़ जाता है।
चैत्र नवरात्रि में होती है मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा..
नवरात्रि हिंदू धर्म में एक बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है, चाहे वह गुप्त नवरात्रि हो, शारदीय नवरात्रि या चैत्र नवरात्रि। इन नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा से शुरू होती है और फिर दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे चंद्रघंटा, चौथे कुष्मांडा, पांचवी स्कंदमाता, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री को समर्पित होती है ।
यह रहेगी ग्रहों की स्थिति:
चैत्र नवरात्रि में शनिदेव मंगल के साथ मकर राशि में रहेंगे जिससे शक्ति में वृद्धि होगी। शनिवार को नवरात्र शुरू होने के साथ ही शनि का मंगल के साथ मकर राशि में रहना निश्चित ही उपलब्धि का कारक है। इससे कार्य में सफलता, मनोकामनाओं की पूर्ति और साधना में सिद्धि प्राप्त होगी।
चैत्र नवरात्रि के दौरान बृहस्पति, शुक्र के साथ कुंभ राशि में रहेगा। मीन राशि में सूर्य, बुध के साथ, मेष राशि में चंद्रमा, वृष राशि में राहु, वृश्चिक में केतु।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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