Published By:धर्म पुराण डेस्क

चाणक्य नीति: प्रेम संबंध में आपको तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए; नहीं तो रिश्ता टूट सकता है..

आचार्य चाणक्य की नीति का पालन करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में सफल होता है।

चाणक्य के अनुसार लोगों को तीन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, नहीं तो उनके रिश्ते बिगड़ सकते हैं।

प्रेम संबंधों पर चाणक्य नीति: महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने नैतिकता का विज्ञान तैयार किया था। जिसमें उन्होंने धन, संपत्ति, पत्नी, दोस्तों, कैरियर और वैवाहिक जीवन से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है।

चाणक्य ने हमेशा अपनी नीतियों से समाज का मार्गदर्शन किया है। ऐसा माना जाता है कि आचार्य चाणक्य की नीति का पालन करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में सफल होता है।

आचार्य चाणक्य का कहना है कि प्रेम संबंध में बंधे दो लोगों को एक-दूसरे पर अटूट विश्वास रखना चाहिए। उनके अनुसार जिस रिश्ते में भरोसा होता है वह हर संकट का सामना करने में सफल होता है। वहीं चाणक्य का कहना है कि रिश्तों में आजादी का होना जरूरी है।

जिस रिश्ते में आजादी नहीं होती, वहां लोग कुछ समय बाद बोर हो जाते हैं और जब खुद को फंसा हुआ महसूस करते हैं तो रिश्ता खत्म करना चाहते हैं।

चाणक्य के अनुसार, स्वतंत्रता वाले रिश्ते बंद रिश्तों की तुलना में अधिक मजबूत और परिपक्व होते हैं। चाणक्य का कहना है कि अगर कोई किसी व्यक्ति के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहता है, तो उस व्यक्ति को स्वतंत्रता दें।

चाणक्य ने रिश्ते में कड़वाहट से बचने के निर्देश भी दिए हैं। उनके मुताबिक लोगों को तीन बातों का ध्यान रखने की जरूरत है, नहीं तो उनके रिश्ते बिगड़ सकते हैं। आइए जानें ये तीन बातें।

सम्मान की कमी:

हर कोई सोचता है कि आपके जीवनसाथी को आपका सम्मान करना चाहिए। ऐसे समय में चाणक्य कहते हैं कि कभी भी अपने पार्टनर के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाएं। जब लोग सम्मान खो देते हैं, तो वह रिश्ता भी कमजोर होने लगता है। वह अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करता है।

अहंकार रिश्ते को नष्ट कर सकता है:

चाणक्य कहते हैं कि प्रेम संबंधों में अहंकार का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। जब आप खुद को और अपने साथी को कम आंकते हैं, तो यह एक रिश्ते को बर्बाद कर सकता है। तो अहंकार मत करो। क्योंकि अहंकार के वृक्ष पर प्रेम का फल कभी नहीं उगता। इसलिए प्यार के रिश्ते में अहंकार नहीं आना चाहिए।

दिखावे से बचें:

प्यार में दिखावा नहीं होना चाहिए। चाणक्य प्रेम को सादगी का एक रूप मानते हैं। उनके अनुसार, दिखावा करने वालों को स्वार्थी कहा जाता है, जबकि प्रेम के लिए समर्पण की आवश्यकता होती है।


 

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