Published By:धर्म पुराण डेस्क

छठ पूजा: सूर्योपासना का महत्व

प्रस्तावना:

छठ पूजा भारतीय समाज में सूर्य भगवान की आराधना का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो प्रायः उत्तर भारत के क्षेत्रों में मनाया जाता है। इसमें सूर्य की पूजा को बहुत विशेष माना जाता है, और इसमें विभिन्न रीति-रिवाज, व्रत, और परंपराएं शामिल होती हैं।

सूर्योपासना का अर्थ:

छठ पूजा में सूर्योपासना का मतलब है सूर्य की पूजा करना और उसका आभास करना। सूर्य हिन्दू धर्म में जीवनकारी, ऊर्जा, और प्रकाश का प्रतीक है।

छठ पूजा का त्योहार:

छठ पूजा का आयोजन सोलार दिनों, यानी उत्तरायण और दक्षिणायन के समय किया जाता है। यह हमारे पृथ्वी पर सूर्य की चारण क्रिया को चित्रित करता है।

दान और व्रत:

छठ पूजा में व्रती विशेष प्रकार के आहार और पानी का अच्छार सम्मिलित करते हैं, जिससे उनका शरीर साफ और स्वस्थ रहता है। धनिया, गेहूं, और घास को अर्घ्य के रूप में सूर्य को चढ़ाया जाता है, जो उसकी पूजा का हिस्सा होता है।

आरती और भजन:

सूर्योपासना के दौरान, व्रती आरतियों और भजनों के माध्यम से सूर्य भगवान की पूजा करते हैं और उन्हें गाने गाकर आराधना करते हैं।

आध्यात्मिक महत्व:

छठ पूजा में सूर्योपासना का आध्यात्मिक महत्व भी है, जो सूर्य को अपनी आत्मा की प्रतिष्ठा का प्रतीक मानते हैं। सूर्य की किरणों के माध्यम से वे आत्मा को पवित्र और प्रकाशमय महसूस करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण:

छठ पूजा में जल संरक्षण का भी विशेष महत्व है, जो सूर्य के लिए अर्घ्य के रूप में प्रदान किया जाता है।

समापन:

छठ पूजा में सूर्योपासना का महत्वपूर्ण स्थान है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्धि और एकाग्रता की भावना को साझा करता है। इसके माध्यम से लोग सूर्य भगवान की आराधना करके उनसे ऊर्जा, स्वास्थ्य, और आनंद प्राप्त करते हैं।

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