महर्षि पराशर और महर्षि भृगु के अनुसार, शापित कुंडलियों का मूल कारण राहु-केतु के प्रभाव में है। इन ग्रहों के योगों के कारण जातकों को विभिन्न प्रकार की बाधाएं और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।
राहु-केतु के शाप और प्रभाव
पितृ शाप: पितृ शाप के कारण जातकों को अपने पिता से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
प्रेत शाप: प्रेत शाप से जातकों को असामान्य दृष्टि से गुजरना पड़ सकता है और विभिन्न प्रकार की भूत-प्रेत प्रेतशाप्तियों का सामना करना पड़ सकता है।
मातुल शाप: मातुल शाप के कारण जातकों को मातुल या मामा से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
पत्नी शाप: पत्नी शाप से विवाहित जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं और पत्नी से जुड़ी विभिन्न कठिनाइयां आ सकती हैं।
भ्रात शाप: इस शाप के कारण जातक अपने भाई या बहन से संबंधित कठिनाइयों का सामना कर सकता है।
ब्राह्मण शाप: ब्राह्मण शाप से जातक अध्ययन और धार्मिक क्षेत्र में बाधाएं महसूस कर सकता है।
सर्प शाप: यह शाप संतान संबंधित समस्याएं उत्पन्न कर सकता है और साथ ही जातक को सर्प दोष से पीड़ा हो सकती है।
कुंडली में राहु और केतु के योगों का प्रभाव शापित कुंडलियों की ओर सुझाता है, और यह व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार रखता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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