Published By:धर्म पुराण डेस्क

निराश व्यक्ति की इच्छा-शक्ति नष्ट हो जाती है

इच्छा-शक्ति नष्ट हो जाने से जीवन- प्रगति की सारी संभावनाएं ही नष्ट हो जाती हैं। इच्छा शक्ति का मनुष्य की कार्यक्षमता से अटूट संबंध है। शरीर और उसकी इंद्रियां जिसके निर्देश और प्रेरणा से काम करती हैं, उस शक्ति का नाम इच्छा है। 

एक बार इच्छा शक्ति की प्रबलता से निर्बल व्यक्ति भी मैदान मार सकता है किंतु जिसने निराशा द्वारा अपनी इच्छा शक्ति को पराभूत कर डाला है, वह जीवन में दो कदम भी आगे नहीं बढ़ सकता। अपने अभीष्ट लक्ष्य को पाने के लिए मनुष्य को साहसी, उत्साही और आशावादी होना पड़ेगा। 

आशा का प्रकाश लेकर चलने वालों के मार्ग को अंधकार हट हट कर रास्ता देता चलता है। जो मन-बुद्धि और विचारों में निराशा का अंधेरा लेकर चलेगा, उस पथ पर ठोकर लगेगी और असफलता का मुख देखना ही होगा।

प्रायः लोग किसी असफलता के आघात या संकट से घबराकर निराश हो जाने पर मनुष्य के जीवन क्षितिज पर संकट और आपदाओं के ही काले बादल मंडराते दिखलाई देते हैं। निराशा संकटों से छूटने का उपचार नहीं, वह तो संकटों में वृद्धि करने वाला विषैला तत्त्व है। 

जहाँ आशावादी और उत्साही के लिए जीवन एक सुंदर और सुखद बाढ़ के समान होता है, वहाँ निराश और निरुत्साही व्यक्ति के लिए कष्ट और क्लेशों के अतिरिक्त कुछ नहीं होता। निराश व्यक्ति के सारे स्वप्न, सारी महत्त्वाकांक्षाएं और रुचियाँ पाले के मारे फूलों के समान मुरझा जाती हैं। उसके जीवन का सारा उल्लास, सारा सुख और सारा संतोष सदा-सर्वदा के लिए स्वप्न बनकर रह जाते हैं।

श्री राम शर्मा


 

धर्म जगत

SEE MORE...........