दिवाली का उल्लेख सतयुग से मिलने लगता है। कथा यह है कि दुर्वासा ऋषि ने स्वर्ग के राजा इन्द्र को फूलों की माला भेंट की लेकिन इन्द्र ने माला अपने हाथी ऐरावत के गले में डाल दी। ऐरावत ने उसे पैरों से कुचल दिया। इससे क्रोधित दुर्वासा ने इन्द्र को श्राप दिया कि तीनों लोक श्रीहीन यानी लक्ष्मीहीन हो जाएंगे।
इसके बाद भगवान विष्णु के कहने पर देवताओं और दानवों ने समुद्र मंथन किया ताकि धरती पर फिर समृद्धि आए। इससे 14 रत्न निकले। कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरी हाथ में अमृत कलश लिए निकले।
महत्व - धन्वंतरी अमरत्व यानी आरोग्य के देवता हैं। वे हाथ में पात्र लेकर समुद्र मंथन से निकले थे इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा समय के साथ, जुड़ गई। धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा भी की जाती है। कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। कुबेर लक्ष्मी जी के सेवक हैं। इस तरह वे धन के रक्षक हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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