Published By:धर्म पुराण डेस्क

धर्म और श्रेष्ठता: अधर्म के खिलाफ संघर्ष

आज के समय में, जब अधर्म और न्याय के मामले में उथल-पुथल हो रही है, हमें अपने आत्मविश्वास से सजग रहना चाहिए। बहुत से लोग अपने स्वयं के लाभ के लिए अधर्म की नीति को धारण कर रहे हैं, जबकि वे धर्म की नीति को नजरअंदाज कर रहे हैं।

इस संघर्ष के क्षण में, यह बात याद रखना महत्वपूर्ण है कि धर्म की नीति को धारण करना श्रेष्ठता के लिए लड़ना है, जबकि अधर्म को निकृष्टता की ओर बढ़ने के लिए। यह संघर्ष न केवल व्यक्तिगत सफलता के लिए है, बल्कि समाज के लिए भी है, जो धर्म और न्याय की बुलंदी को बनाए रखना चाहता है।

अर्जुन की तरह, हमें भी धर्म की नीति का पालन कर मानवता के लिए लड़ने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। इस संघर्ष में हमें अपने प्रियजनों के साथ भी भिन्नता सहनी पड़ेगी, परंतु हमें अपने मूल्यों और धर्म की पक्षपात नहीं करने देना चाहिए।

जब हम अपने आत्मविश्वास से सजग रहेंगे और अधर्म के खिलाफ संघर्ष को नीति की दिशा में बदलेंगे, तब ही हम श्रेष्ठता की ऊँचाइयों को छू सकेंगे। धर्म के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से ही हम व्यक्तिगत और सामाजिक समृद्धि की राह में आगे बढ़ सकते हैं।

इस समय में, हमें संकट के साथ संघर्ष करते हुए भी धर्म और न्याय की प्रक्रिया में बने रहना चाहिए, क्योंकि यही हमें सच्ची शक्ति और श्रेष्ठता की दिशा में आगे बढ़ा सकता है। 

जय धर्म, जय न्याय

धर्म जगत

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