 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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प्रभात गौतम आयुर्वेदाचार्य
मधुमेह diabetes अति व्यापक रोग है। 100 व्यक्तियों के पीछे एक में यह अवश्य मिलता है। आयुर्वेदानुसार प्रत्येक दोष वात-पित्त-कफ (त्रिदोष) के वैषम्य से होता है। जब कफ दोष विकृत रूप में बढ़ता हुआ यात या पित्त के साथ सम्बन्ध कर लेता है तब शरीर की धातुएँ दवपूर्ण शिथिल होकर पेशाब मार्ग से बाहर आ जाती है। च 'ओज' नामक वस्तु जिसका रस मधुर होता है। वह भी मूत्रमार्ग से प्रवाहित होने लगता है
अत्यधिक या बार-बार व सदा ही गंदले स्वरूप के मूत्र का त्याग प्रमेह रोग कहलाता है प्रमेह रोग 20 प्रकार का होता है। प्रमेह रोग के निदान (कारण) सम्प्राप्ति (रोग प्रसार का ढंग) व सामान्य लक्षण, आधुनिक Dialites Mellitus के समान है 'प्रमेहोऽनुपसिंगणाम्" के अनुसार यह प्रमेह रोग जिसका पीछा पकड़ लेता है। उसे जल्दी छोडता नहीं है और उपेक्षा करने पर कालान्तर में मधुमेह diabetes में बदल जाता है ।
चरक संहिता में कहा गया है। कषाय मधुरं पाण्डु रुक्षं मेहति यो नरः। वातको पादसाध्यं तं प्रतीयां-मधु मेहिनम्।
अर्थात् प्रकुपित वायु के कारण जो मनुष्य रस में रुपाय (Astringent) मधुर (Sweat) वर्ण में पाण्डु (Whitishas yellonish) व स्पर्श में रुक्ष मूत्र त्याग करता है, उसे मधुमेह diabetes का रोगी जानना चाहिए। यह असाध्य होता है ।
आधुनिक मतानुसार कुछ नाव जो अग्नाशय व यकृत् छावित होते हैं। (यथा इन्सुलिन) इनकी कमी से शर्करा का पाचन नहीं हो पाता परिणामतः शर्करा की मात्रा रक्त व मूत्र में बढ़ जाती है। मूत्र का आपेक्षिक गुरुत्व 1060 से ऊपर हो जाता है। लेकिन मूत्र की पॉजिटिव जांच के अनुसार ही मधुमेह diabetes समझ लेना भयंकर भूल है। इसके लिए रक्त शर्करा (Blood Sugar) की जांच अनिवार्य है। यदि ब्लड शुगर की जांच में शर्करा रक्त में सामान्य से अधिक हो तभी औषधि प्रयोग में लाये।
आजकल ग्लूकोमीटर की सहायता से रक्त शर्करा की जाँच एक मिनट से भी अल्प समय में की जाती है। निम्न लक्षणों के आधार पर समझ लेना चाहिये कि शरीर में मधुमेह diabetes का प्रवेश हो चुका है
1. व्यक्ति विशेष को सबसे पहले बहुमूत्रता (पेशाब की अधिकता Polyuria) की शिकायत होती है मधुमेह diabetes दिन भर में कई बार व रात्रि में भी बार-बार तथा मात्रा में अधिक (24 घंटे में 2 लीटर से 3 लीटर या इससे भी अधिक) मूत्र करता है। इसलिए जल के अधिक निकल जाने से रोगी को प्यास अधिक लगती है
2. रोगी में मूत्र द्वारा शर्करा के अधिक निकल जाने से भूख अधिक लगती है। पर अधिक खाने के भी वजन लगातार घटता चला जाता है।
3. शरीर की त्वचा रूखी व खुरदरी हो जाती है। फलस्वरूप शरीर में खुजलाहट बढ़ जाती है। महिलाओं में योनिमार्ग में खुजली (Pruritus) व पुरुषों में लिंग के अगले भाग में खुजली व शोथ (शिश्न मुंडशोथ) (Balanitis) का लक्षण मिलता है।
4. शरीर का भार कम होने से खड़े होने पर चक्कर आ जाते हैं व हल्के श्रम से ही शरीर में थकावट आ जाती है। पैर या हाथों में दर्द होता है। वे अक्सर सुन्न हो जाया करते हैं व चींटी सी चलने का अनुभव या सुई चुभने जैसा लक्षण मिलता है ।
5. आंतों की श्लेष्मकला के शुष्क रहने से रोगी को प्रायः मलावरोध (Constellation) की शिकायत रहती है।
6. इस रोग में अक्सर पुरुषों में कायशक्ति का हास (कमी) व स्त्रियों का मासिक धर्म अनियमित या बन्द होना पाया जाता है। तथा रक्तभार (Blood Pressure) बढ़ा पाया जाता है ।
7. मसूड़े फूल जाते हैं और उनसे रक्त आने लगता है। व शरीर पर मधुमेह diabetes पिड़िकाऐं (Boils) निकल आती हैं। यदि पैर के तलवे में घाव हो व सीवन प्रदेश के आस-पास दाने उभरे मिलें तो मधुमेह diabetes का संदेह करें।
8. रोग के बढ़ने पर आंखों की रोशनी लगातार कम होती जाती है व धुंधला दिखाई पड़ने लगता है। पैरों, हाथों के नाखूनों या त्वचा का रंग गहरा लाल, जामुनी या काला पड़ जाता है।
9. बाद में फुफ्फुस आदि अंगों में खराबी आ जाती है। व कार्बकल होकर रोगी की मृत्यु हो जाती है ।
मधुमेह diabetes रोग किन कारणों से होता है -
अब इस विषय पर चर्चा करेंगे आधुनिक मतानुसार पैन्क्रियाज (अग्नाशय) में कमी आ जाना इस रोग का मूल कारण है पैन्क्रियाज द्वारा निकलने वाले इन्सुलिन हार्मोन का स्रावन जब अनेक कारणों से कम हो जाता है, तो शरीर की शर्करा का पाचन सम्यक् ढंग से नहीं हो पाता। परिणाम शर्करा की मात्रा रक्त में व मूत्र में बढ़ जाती है और उपद्रव प्रारम्भ हो जाते हैं।
लेकिन कुछ बाह्य कारक भी हैं जो इस रोग की उत्पत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे मधुमेह diabetes ऐसे रोगियों (व्यक्तियों) में अधिकतर पाया जाता है जो उच्च वर्ग के शिक्षित, बैठकर काम करने वाले (आयुर्वेद में इससे संदर्भ एक उक्ति है सुखपूर्वक बैठे रहना जैसे व्यापारी वर्ग) अधिक मात्रा में आहार लेने वाले, व शाकाहारी हों।
इसके विपरीत श्रमिक वर्ग खासकर ग्रामीण व निर्धन व्यक्तियों में यह रोग बहुत कम मिलता है। कहने का तात्पर्य है कि स्थूलता इस रोग का सबसे बड़ा कारण है। इनके अतिरिक्त मधुर पदार्थ, शर्करा मिठाइयां आदि अधिक मात्रा में व बहुत दिनों तक खाते रहना, अधिक मद्यपान, भाँग, गाँजा, आदि नशीली वस्तुओं का अतिसेवन आदि प्रमुख कारण हैं।
अत्यधिक मानसिक श्रम, चिंता, उत्तेजना, चोट व कुछ संक्रामक रोग जैसे डिपथरिया, मलेरिया, टॉन्सिल आदि के बाद भी कभी-कभी मधुमेह diabetes रोग होते देखा गया है।
कई बार यह रोग पैत्रिक परम्परा भी आता है। जैसे किसी व्यक्ति के माँ-बाप, बहन-भाइयों को यदि मधुमेह diabetes रोग हो चुका है, तो व्यक्ति विशेष में रोग होने की सम्भावनायें काफी होती हैं।
1. रोग की साध्यसाधता के बारे में अध्ययन करने से पता चलता है कि 50 प्रतिशत मधुमेह diabetes जन्य संन्यास (Diabetic Coma) में मरते हैं।
2. 25 प्रतिशत फुफ्फुस शोथ (न्यूमोनिया) या क्षय रोग (तपेदिक) से मरते हैं।
3. शेष 25 प्रतिशत रोगी गैंग्रीन, गुर्दों की सूजन व मस्तिष्कगत रक्तस्राव से मरते हैं
 
 
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