संपूर्ण आयोजन स्थल जयकारों से गूंज उठा। प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में आचार्य श्री द्वारा देशना और प्रभु की प्रतिष्ठा की गई। मूलनायक भगवान मुनिसुव्रतनाथ भगवान शांतिनाथ, भगवान वासुपूज्य स्वामी और दादा गुरुदेव श्री जिन कुशल सूरी जी नाकोड़ा भैरव जी, पद्मावती माता, सरस्वती माता की भव्य आकर्षक मनमोहक प्रतिमाओं को नवीन वेदिका पर विराजमान किया गया|
जिनालय के शिखर पर स्वर्णकलश का आरोहण कर धर्म ध्वजा फहराई गई। महोत्सव समिति के अध्यक्ष राजेश तातेड़ ने बताया कि महोत्सव के प्रमुख फले चुंदड़ी परिवार अशोक, राजकुमारी, अमरदीप रांका परिवार थे।
मूलनायक भगवान मुनि सुव्रतनाथ स्वामी की प्रतिमा महेश तातेड़ परिवार, प्रभु शांतिनाथ स्वामी की प्रतिमा जितेंद्र कुमार सावनसुखा और गंभीर राजेश वारासिवनी परिवार दादा गुरुदेव की प्रतिमा प्रदीप लूनावत परिवार को विराजमान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
नवीन जिनालय पर स्वर्ण कलश आरोहण प्रकाशचंद, राजेश तातेड़ परिवार के बच्चों द्वारा किया गया। शिखर पर ध्वजारोहण बच्छराज, पवन, डा नितिन नाहर परिवार द्वारा किया गया। आचार्य पीयूष सागर महाराज ने कहा कि जिनालय भारतीय संस्कृति के माथे का तिलक होते हैं।
यह जिनालय हजारों हजारों साल तक जैन सिद्धांत, जैन दर्शन के साथ भारतीय संस्कृति और संस्कारों की गौरवगाथा गाते रहेंगे। अपने लिए भवन निर्माण प्रतिष्ठान निर्माण, भौतिक सुख-सुविधाओं की सामग्री का निर्माण तो दुनिया में सभी करते हैं, लेकिन जो जिनालय के अनुष्ठानों पुण्याजक बनते हैं वह हजारों साल का पुण्य एकसाथ संचय कर लेते हैं।
आयोजन समिति की मीडिया सहयोगी श्वेता तातेड़ ने बताया कि शनिवार को मुमुक्षु प्रभुति ओस्तवाल का भव्य दीक्षा कार्यक्रम किया जा रहा है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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