चक्कर आने की समस्या को मामूली न समझें। चक्करों (वर्टिगो) को आमतौर पर ऊंचाई के कारण पैदा होने वाला डर मान लिया जाता है। इसे तत्काल चिकित्सक को दिखाकर इलाज करवाएं।
वर्टिगो में जोर से चक्कर आने का अहसास होता है। इसमें पूरी धरती घूमती हुई महसूस होती है। चक्कर आने को अक्सर ऊंचाई से नीचे देखने पर कान के अंदरूनी हिस्से में परेशानी से जोड़कर भी देखा जाता है। इस तरह के चक्करों के साथ मरीजों को मितली, उल्टियां आती हैं और पसीना छूटने लगता है। उसे खुद पर से नियंत्रण हटता सा प्रतीत होता है।
चक्कर आने के बाद वह बड़ी मुश्किल से चल पाता है। यदि चक्कर बार-बार आते हों और सामान्य इलाज से ठीक न हो रहे हों तो उन्हें मस्तिष्क में आई कोई खराबी मानना चाहिए।
कई बार मरीजों को मानसिक समस्याओं के चलते वर्टिगो की समस्या खड़ी होती है। चक्कर आने की वजह से मरीजों में अवसाद और बेचैनी की समस्या भी हो जाती है।
कई बच्चे बगीचे में अथवा किसी मेले में गोल चकरी में बैठकर तेजी से घूमते हैं। बाद में जब चकरी से उतरते हैं तो उन्हें चक्कर आने लगते हैं। यही अहसास वर्टिगो के मरीजों को होता है। चूंकि इस तरह मेले की गोल चकरी में घूमने से चक्कर खुद पैदा किए जाते हैं तो यह एक वक्त के बाद स्वयं खत्म हो जाते हैं। चक्कर किसी को भी 'किसी भी उम्र में आ सकते हैं लेकिन 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में चक्कर आना बहुत आम समस्या है।
कान के अंदरूनी हिस्से में आई समस्या के कारण वर्टिगो की दिक्कत सामने आती है। कान के अंदरूनी हिस्से में एक तरल पदार्थ शरीर के संतुलन के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके अलावा मस्तिष्क में आई कोई खराबी भी वर्टिगो की समस्या पैदा कर सकती है।
● मोशन सिकनेस का अहसास,
● कान में भारीपन का अहसास होना तथा कान बंद हो जाना,
● सिरदर्द होना,
● मितली के साथ उल्टियां होना,
● शरीर का संतुलन कायम नहीं रख पाना,
मस्तिष्क एवं कान के अंदरूनी हिस्से की एमआरआई या सीटी स्कैन कराने के बाद स्ट्रोक या एकास्टिक न्यूरोमा अथवा मस्तिष्क में किसी गठान की उपस्थिति का पता लगाया जाता है। बहुत अपवाद स्वरूप अंदरूनी कान और मध्य कान के बीच के स्थान पर सर्जिकल प्रोसीजर का सुझाव दिया जाता है। लक्षणों के आधार पर दवाओं अथवा सर्जरी के माध्यम से मरीज को ठीक किया जाता है।
माइग्रेन में होने वाला तीव्र सिरदर्द जो लगातार कई दिनों तक बना रहता है।
कान के अंदरूनी हिस्से से निकलने वाली वेस्टिब्युलर नर्व में आई सूजन भी चक्कर का कारण बन सकती है। जब हम पैदल चलते हैं तो यह नर्व मस्तिष्क को संतुलन बनाए रखने के लिए संदेश भेजती रहती है।
कुछ दवाएं भी ऐसी होती है जिनके कारण कान के अंदरूनी हिस्से में संक्रमण पैदा हो जाता है।
कुछ मरीजों को सिर एकाएक हिलाने पर चक्कर आने की शिकायत होती है। इसे बिनाइन प्रोक्सिमल पोजिशनल वर्टिगो कहा जाता है।
इसके अलावा अत्यधिक गर्म तापमान में अधिक समय तक रहने. कान में घंटियां जैसी बजने से या सुनाई देने में आ रही समस्याओं के कारण भी चक्कर आ सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024