गृहस्थ जीवन में सुख और समृद्धि का महत्वपूर्ण स्तर प्राप्त करने के लिए, दीपावली के शुभ अवसर पर एक विशेष प्रयोग करें।
प्रयोग विधि:
* शुभ मुहूर्त में, साधक प्रातः 8 बजकर 20 मिनट के लिए आसन पर बैठे।
* मन में स्थिति को शुद्ध रखें और समझें कि आप गृहस्थ सुख और समृद्धि के लिए यह प्रयोग कर रहे हैं।
* स्फटिक की माला का उपयोग करते हुए, "ॐ ऐं श्रीं मम गृहे तुष्टि भवः" मंत्र की तीन मालाएं पूर्ण करें।
* जप समाप्त होने पर, एक 'सुख समृद्धि यंत्र' को एक चांदी के कवच में बांधकर, उसे तिजोरी या अलमारी में सुरक्षित रख दे।
उपाय के लाभ:
गृहस्थ सुख: प्रयोग से गृहस्थों के बीच सामंजस्य और शांति बनी रहती है, जिससे सुख और समृद्धि का वातावरण बना रहता है।
बीते परिवारीय मतभेद: मंत्र जप से परिवारीय वातावरण में समर्थन और समझदारी बढ़ती है, जिससे मतभेद कम होते हैं।
पुत्र की सफलता: यंत्र के साथ जप से, पुत्र को अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त होती है और उसका आज्ञाकारी में समर्थन मिलता है।
बच्चा सुख: अगर घर में संतान सुख कम है, तो यह प्रयोग उसे प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
सावधानियां:
गुरु से पूर्व शिक्षा लें: यदि आप इस प्रयोग को करना चाहते हैं, तो गुरु या धार्मिक आचार्य से इसकी सही विधि और मंत्र का उपयोग सीखें।
ईमानदारी से करें: इस प्रयोग को ईमानदारी से करना चाहिए, भ्रष्टाचार से बचने के लिए।
नीति-नियमों का पालन करें: नीति और नियमों का पूरा पालन करना चाहिए, और इसे दूसरों के साथ साझा नहीं करना चाहिए।
इस विशेष प्रयोग से, दीपावली के माहौल में गृहस्थ जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। वैसे तो यह साधना कार्तिक मास में कभी भी सम्पन्न की जा सकती है. परंतु दीपावली की रात्रि को यह प्रयोग करने से विशेष सफलता प्राप्त होती है. इस रात्रि में आधी रात के पश्चात् ही यह साधना प्रारम्भ करनी चाहिए,
'दीपावली की रात्रि' को आधी रात के समय साधक लाल धोती या स्त्री साधिका हो, तो लाल साड़ी पहन कर बैठ जाए और सामने एक बड़ा सा तिल के तेल का दीपक जलाएं। इसके बाद एक कांसे की थाली या कांसे की प्लेट को दीपक की लौ के ऊपर थोड़ी देर रखने पर उस थाली में कालिख सी लग जायेगी, किसी तिनके से उस कालिख में ही भगवती लक्ष्मी का रेखा चित्र बनाएं।
यदि आप अच्छे चित्रकार न हों, तो इसमें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, एक स्त्री की आकृति बना लें, जो लक्ष्मी जी जैसी दिखाई देती हो, फिर इस थाली को अपने सामने रख दें, और उस लक्ष्मी जी के चित्र के चारों ओर '21 गोमती चक्र तथा सामने दरिद्रता निवारक सिद्ध यंत्र (जो कि चांदी के कवच में होगा) रख दें।
इसके बाद उस लक्ष्मी के चित्र और उन कमल बीजों की पूजा करें, उसके सामने भोग लगाएं, और निम्न मंत्र की 21 माला मंत्र जप करें, इस मंत्र जप में 'दरिद्रता निवारक मंत्र से अभिमंत्रित स्फटिक माला का ही प्रयोग किया जाता है।
मन्त्र- ऊँ अर्हं ऐं लक्ष्मीं श्रीं अर्हं यं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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