Published By:धर्म पुराण डेस्क

महाशिवरात्रि का पावन पर्व 18 फरवरी को है। इस बार महाशिवरात्रि के दिन शनि प्रदोष व्रत भी है। यह दिन शिव आशीर्वाद पाने का उत्तम अवसर है। इस दिन महाशिवरात्रि के अवसर पर विधि विधान से पूजा अर्चना कर सुख-समृद्धि में वृद्धि कर परेशानियां दूर की जा सकती हैं।
इस बार महाशिवरात्रि पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:15 बजे से शुरू है। आप शुभ समय में शिव आराधना करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन शिवलिंग पर चंदन का तिलक पूरे विधि विधान से लगाना चाहिए।
एक कैलेंडर वर्ष में आने वाली सभी शिवरात्रियों में से, महाशिवरात्रि, को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जो फरवरी-मार्च माह में आती है। इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की और जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है।
महाशिवरात्रि के दिन भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं, शिव की आराधना करते हैं और रात्रि-जागरण करते हैं.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने रात को तांडव नृत्य किया था. शिव के इस नृत्य को सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है.
शिवलिंग पर लगाए गए इस तिलक को त्रिपुंड कहते हैं। जिसमें तीन रेखाएं खींची जाती हैं। इसके ऊँ नम: शिवाय बोलते हुए ललाट, गर्दन, भुजाओं पर भस्म लगाना चाहिए।
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर त्रिपुंड लगाना बहुत लाभदायक होता है। माथे पर चंदन के त्रिपुंड से जातको कों मानसिक शांति महसूस होती है और शिव की कृपा से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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