 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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ग्रीवादंश एवं कमरदर्द:
कमर दर्द आज आम समस्या है इसके लिए अनेक योगासन है साथ ही एक्सरसाइज भी हैं।
रीढ़ की हड्डियों में होने वाली यह समस्या अब सामान्य रूप से देखी जाती है। दोनों ही अवस्था में मुख्य समस्या दर्द के रूप में उमड़ती है और इसका मुख्य कारण दो हड्डियों के बीच पाई जाने वाली डिस्क का क्षय हो जाना और आपस में रगड़ खाना है। समस्या की वजह गलत तरीके से बैठना, ऊँचे तकिये व्यवहार में लाना या अक्सर आगे की तरफ झुक कर काम करना है।
महिलाओं में कमर दर्द की समस्या ज्यादा होती है जबकि पुरुषों में गर्दन दर्द की। कभी-कभी दर्द के साथ सूजन भी दिखाई पड़ता है। विकृत अवस्था में गर्दन के पास (सर्वाइकल रीजन) में 3 या 4 नम्बर की वर्टीब्रा (कशेरुका) खिसकी नजर आती है.
यौगिक चिकित्सा सिद्धांत:
यहाँ गलत शारीरिक अवस्था को सही करने तथा क्षय प्रक्रिया को रोककर पुनः प्राण संचार तीव्र करने का प्रयास योग अभ्यास के माध्यम से किया जाता है। शरीर से मलों का निष्कासन भी बेहतर हो, इसका ध्यान रखा जाता है।
आसन: संधि संचालन के अभ्यास (ग्रीवा संचालन को छोड़कर), मार्जारी आसन, मकरासन, ताड़ासन, सूर्य नमस्कार (यदि संभव हो तो 2-5 चक्र), अर्ध शलभासन, सर्पासन।
प्राणायाम: नाड़ी शोधन, उज्जायी, भ्रामरी।
क्रियाएँ: नेति, वमन, लघु शंख प्रक्षालन (सप्ताह में एक बार), कपालभाति (25 से 50 चक्र)।
विशेष: योग निद्रा।
अन्य सलाह: पेट को साफ रखने का प्रयास करें। कब्ज से दर्द में वृद्धि होगी।
सावधानियां: जब तीव्र दर्द की अवस्था हो, तो जटिल अभ्यास न करें।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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