 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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                    देश भर में रूप चौदस का पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। दिवाली के एक दिन पहले रूप चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इस पर्व को छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, काली चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है। रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह से दिवाली की रात धन की देवी मां लक्ष्मी भूलोक पर आती हैं और साफ सफाई वाले घर में बस जाती हैं, ठीक उसी तरह रूप चौदस के दिन देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी भूलोक आती हैं और जिस घर में साफ सफाई की कमी होती है, उसी घर में बस जाती हैं। रूप चौदस की पीछे एक ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन कुछ उपायों को करने से लोग विभिन्न तरह के रोगों और परेशानियों से दूर रहते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-
रूप चौदस वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्योदय से पहले उठ कर और दिनचर्या से निवृत्त होकर हल्दी, चंदन, बेसन, शहद, केसर और दूध का उबटन करें, फिर स्नान करके पूजन करें। इस दिन तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।
रूप चौदस के दिन लाल चंदन, गुलाब के फूल तथा रोली के पैकेट की पूजा करें, इन्हें एक लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दें। इस उपाय को करने से धन की प्राप्ति होती है। रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन और राजा बलि का स्मरण करना चाहिए। साथ ही उनकी पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके घर में मां लक्ष्मी का स्थायी रूप में आगमन होता है।
रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर 4 बत्तियों का दीपक जलाकर यमराज का ध्यान करते हुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपदान करना चाहिए। इससे उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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