गुटखा खाने वालों के लिए यह आर्टिकल बहुत महत्वपूर्ण है।
आज पान मसालों का दायरा बहुत व्यापक होता चला जा रहा है और बीमारियां भी इतनी ही गति से बढ़ती जा रही हैं एक सर्वे के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में पथरी के जितने भी ऑपरेशन हुए, उनमें आधे से ज्यादा इन्हीं पान मसालों के प्रयोग में आने वाली चीजों से हुए । विभिन्न प्रकार के पदार्थ युवाओं के पेट में पहुंचकर पथरी का निर्माण करते हैं।
इसके अलावा पान मसालों के प्रयोग से मुंह होठों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, दांतों पर काले धब्बे पड़ जाते हैं। इस धब्बे की वजह से दांत अपनी सुन्दरता और छवि खो देते हैं। मुख्य जान लेवा क्षय रोग का कारण यह मीठा जहर हो सकता है। इससे मरीज को लगातार खांसी की समस्या भी हो सकती है।
बाजारों में बिकने वाले पाउचों में आजकल कांच के टुकड़े, तार कील तथा आलपिन इत्यादि निकलना आम बात हो गई है। कॉकरोच, छिपकली की पूंछ और अन्य कीड़े भी इन मसालों से मिले। कई पान-मसाला बनाने वालों ने स्वीकार किया कि वे युवाओं में नशे की लत बनाए रखने के लिए अफीम की या अन्य नशीले पदार्थों की निश्चित मसाले में मिलाते हैं। जिससे युवा वर्ग उनके ग्राहक बने रहें।
बढ़ती पाउच संस्कृति से युवा वर्ग सहित शहरों और गांवों में गरीब-अमीर पढ़े लिखे, अनपढ़ जवान और कई बार तो युवतियां भी पान-मसाला चबाती हुई मिल जाएगी। अपने-अपने पान मसालों का प्रचार-प्रसार के लिए कंपनियों ने प्रतियोगिताएं रखीं कि जो पान वाला जितनी अधिक संख्या में पाउच बेचेगा और दुकानों पर खूबसूरत पाउचों की श्रृंखला सजाएगा, उसे उचित और श्रेष्ठ इनाम दिया जायेगा।
इस पर दुकानदारों ने हजारों-लाखों रुपये के पाउच खरीदकर दुकानों को कई-कई माह तक सजाया तथा लोगों को सस्ते दामों में बेचा। पान-मसाला मुंह में रखने पर थोड़े समय ताजगी देता है, ऐसा महसूस होता है, पर इसके दूरगामी परिणाम बहुत भयानक होते हैं।
हाल में गुजरात कैंसर रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने इस बात का समर्थन किया कि पान-मसालों का कम सेवन भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और अधिक मात्रा में सेवन करना भी भयंकर बीमारियों को नियंत्रित करना है। पान-मसाले वाले गुटके जहां उनकी खूबसूरत पन्नियों से माध्यम से आकर्षित करते हैं, वहीं यह भी ज्ञात नहीं होता कि ये मौत को आमंत्रण दे रहे हैं। इनको चबाने से फाइब्रोसिस नामक रोग हो जाता है।
कई लोग घंटों तक मुंह में रखकर चबाने के आदी हो जाते हैं. और रात को सोते समय भी लोग गुटखा मुंह में रखकर सो जाते हैं। इससे मुंह की पेशियों पर चोट लगती है और क्यूकस ग्रंथियां संकुचित हो जाती है। दांतों और होठ के निचले हिस्से पर प्रायः गुटका रखने की आदत सी बन गई है। धीरे-धीरे मुंह का पूरा खुलना बंद हो जाता है और तेज नमक-मिर्च या भोजन खाने में भी परेशानी होती है।
अधिकांश गुटखा निर्माता पान मसालों में मेंथॉल नामक तत्व मिलाते हैं। एक किलो पान-मसाले में सिर्फ 0.3 ग्राम मेंथॉल की आवश्यकता होती है, परन्तु निर्माताओं में पान-मसालों की अधिक बिक्री एवं स्वाद बढ़ाने के लालच में इसकी मात्रा बढ़ा दी है।
इस मात्रा के बढ़ने से, जहां युवा इसे चटकारे लेकर खाते हैं, वहीं यह पान मसाला मुंह के द्वारा भोजन में पहुंचता है, तो पेट में सूजन हो जाता है और यदि यह सूजन लम्बे समय तक रहती है, तो कैंसर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। पहले जो लोग पान-मसालों या तम्बाकू का सेवन करते थे, वे समय-समय पर थूककर इसे मुंह से बाहर कर देते थे, पर आजकल के युवा जो केवल शौक से इसे खा रहे हैं, उन्हें इसका अहसास नहीं है कि क्या चबा रहे हैं।
निरन्तर घंटों मुंह में मसाला रखें रहने से थूक के द्वारा पेट में ये हानिकारक पदार्थ जाते रहते हैं, जो कि बाद में अनेक भयानक रोगों का कारण बनते हैं। प्रतिदिन 5 से 10 पाउच जो व्यक्ति पान मसालों का सेवन करते हैं, उनकी कोशिकाएं धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं।
बाजार में बिकने वाले अधिकांश पान-मसालों के कारण जो कि नकली भी हो सकते हैं, एक शोध के द्वारा पाया गया है इनसे हृदय की धमनी भी संकुचित हो जाती है। वैज्ञानिक शोधों पर यह बात भी सिद्ध हो चुकी है कि जो लोग ज्यादा पान-मसाले तम्बाकू युक्त खाते हैं उन्हें पेट, आमाशय की बीमारियां हो सकती।
पेट का कैंसर भी ज्यादा पान-मसालों का सेवन करने से पाये गये हैं। यह पित्ताशय में पथरी का कारण भी है, जिससे बाद में ऑपरेशन से निकालना ही पड़ता है। कई मामलों में अम्लपित्त एवं बाद में अल्सर का कारक भी ये पान-मसाले पाये गये हैं। अगर उचित चिकित्सा प्रारम्भ में नहीं कराई जाती है। तो ये कैंसर उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।
इस प्रकार से पान मसालों में मिलावटी पदार्थों को मिलाने, नशीली वस्तुओं को मिलाने से, इसके उसी 10-12 तक पाउच खा लिए जाते हैं, जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से कतई उचित प्रतीत नहीं होता है।
इसके सेवन से दांतों पर धब्बे पड़ जाते हैं, पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं, पथरी, पित्ताशय पथरी, अल्सर, कैंसर, मुंह का न खुलना, फाइब्रोसिस रोग, म्यूकस ग्रंथियों का संकुचित होना, हृदय की धमनियों का संकुचित होना, जान लेवा क्षय रोग पैदा हो सकते हैं, इसलिए यह जान लें कि गुटकों का सेवन मृत्युकारक है, अतः इसका प्रयोग तुरन्त बंद कर उपर्युक्त बताई गई बीमारियों से बचें।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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