 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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आजकल हर कोई सिगरेट के धुएं के छल्ले बनाते नजर आता है। लड़के हो या लड़कियां मॉल में सुट्टा बार में सिगरेट के धुएं को उड़ाते हुए मस्ती करते दिख जाएंगे।
तम्बाकू सेवन किसी भी रूप से हानिकारक है. फिल्टर युक्त या फिल्टर रहित सिगार, पाइप, हुक्का, चिलम, बीड़ी, तंबाकू, गुटखा और खैनी जैसे तंबाकू के विभिन्न उत्पाद हमेशा हानिकारक होते हैं.
विभिन्न अध्ययनों से साबित हो चुका है कि तंबाकू विश्व में पहले नम्बर का मृत्युदाता है. इसके बावजूद हमारे देश में तंबाकू सेवन बढ़ रहा है. एक अनुमान के अनुसार भारत में करीब दो प्रतिशत लोग प्रत्येक वर्ष तंबाकू सेवन की खतरनाक लत के शिकार होते हैं. दूसरी तरफ विकसित देशों में तंबाकू सेवन की हानियों के प्रति लोगों में जागरूकता आने से तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या कम होती जा रही है.
एक सिगरेट पीने से हमारी आयु साढ़े चार मिनट कम हो जाती है. धूम्रपान से होने वाली प्रमुख बीमारियों में रक्तचाप, रक्त धमनियों में रक्त का जमाव, हृदयाघात, श्वास नलियों में सिकुड़न, दमा, पेट में तेजाब का बढ़ना, पेट में सूजन एवं घाव (पेप्टिक अल्सर), शरीर के विभिन्न अंगों की रक्त धमनियों में अवरोध तथा फेफड़े, मुंह, गले, खाने की नली और मूत्र प्रणाली के कैंसर प्रमुख हैं.
धूम्रपान से परहेज करने वाले लोगों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में इन बीमारियों का प्रकोप चार से दस गुना अधिक है.
सिगरेट में एक हजार रसायन होते हैं. लेकिन इनमें निकोटिन, कार्बन डाइऑक्साइड और तार नामक तीन रसायन सबसे अधिक खतरनाक होते हैं. निकोटिन से नशा होता है. कार्बन डाई ऑक्साइड से फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी होती है. तार फेंफड़ों और दूसरे अंगों में जमा होकर उन्हें नष्ट करता है.
धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों को फेफड़ों का कैंसर दस गुना अधिक होता है. धूम्रपान करने वालों को उच्च रक्तचाप और दिल के दौरे, हृदय की बीमारियां धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में छह गुना अधिक होती है.
अगर कोई गर्भवती महिला धूम्रपान करे तो गर्भ में पल रहे शिशु पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसे में गर्भपात तथा कम वजन वाले अथवा विकलांग शिशु के प्रसव की आशंका बढ़ती है.
धूम्रपान छोड़ना हमेशा लाभदायक होता है. धूम्रपान छोड़ने के लिए आत्मविश्वास एवं आत्मसंयम की बहुत आवश्यकता है. कुछ ऐसे उपाय एवं सूत्र हैं जिनकी मदद से सिगरेट पीने की खतरनाक लत को तिलांजलि दी जा सकती है.
अगली सिगरेट पीना जितना संभव हो, टालते रहे, प्रत्येक दिन कुछ घंटे धूम्रपान निषेध समय के रूप में रखें, दो सिगरेट पीने का अंतराल धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं, घर में सिगरेट या ऐश ट्रे ऐसी जगह पर रखें जहां से उन्हें निकालने में कठिनाई हो. आखिरी कश तक सिगरेट नहीं पिएं, क्योंकि सिगरेट के पिछले हिस्से में तार और निकोटिन की मात्रा अधिक होती है. सिगरेट पीने के दौरान कम से कम और हल्के कश लें.
इस दौरान खूब पानी पिएं तथा फलों के रस का सेवन करें. मुंह में मिश्री, इलायची और अन्य मीठी चीजें रखें. धूम्रपान छोड़ने पर आरंभ में सिरदर्द, दिल की धड़कन में तेजी, चिड़चिड़ापन, थकावट और कब्ज जैसी शिकायत हो सकती है. लेकिन ये शिकायतें शीघ्र दूर हो जाती हैं. योग-ध्यान और व्यायाम से भी राहत मिलती है.
मनोहर वाघलकर
 
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