नींद से उठने के बाद या नींद के बीच में अगर किसी को सांस लेने के लिए खास प्रयत्न करने पड़ते हो या हांफनी चलने लगती हो तो ऐसा कई कारणों से हो सकता है।
यह एक आम समस्या है। इसमें पोस्ट नेजल ड्रिप यानी नाक में म्यूकस इकड़ा हो जाने जैसी सामान्य स्थितियों के अलावा कई गंभीर समस्याएं भी आ सकती हैं। इनके लिए त्वरित और लंबे इतान की जरूरत हो सकती है। इसलिए अगर किसी को बार-बार यह समस्या हो रही। है तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।
नींद से उठने के साथ ही सांस लेने के लिए संघर्ष करना एक समस्या है जिसके पीछे कई गंभीर कारण भी हो सकते हैं। इनमें से प्रमुख है:
स्लीप एप्निया: नींद के दौरान बीच-बीच में सांस लेने में आने वाला व्यवधान इस तकलीफ का लक्षण है। इसके कारण सांस होने की सामान्य लय में पॉन आ जाता है।
इसके दो मुख्य प्रकार सेंट्रल स्लीप एनिया (दिमाग में होने वाली समस्या के कारण) और ऑक्टुक्टिव स्लीप एप्निया (एयरवे में होने वाले ब्लॉकेज की वजह से) होते हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति तब तक इस समस्या से अनजान रह सकता है जब तक कि उनके साथ सोने वाला व्यक्ति उन्हें उनके खरीटों और बीच में सांस रुकने के अजीव से लक्षण के बारे में नहीं बताता।
इस दौरान जब व्यक्ति टूटी हुई सास को पाने की कोशिश में हांफता है तो वह पूरी तरह जागी अवस्था में नहीं होता। इसके अन्य लक्षणों में सुबह होने वाला सरदर्द, दिन में होने वाली थकान, याददाश्त संबंधी समस्याएं, चिड़चिड़ाहर भी शामिल हैं।
एंग्जायटी: एंग्जायटी पैनिक अटैक का कारण बन सकती है और जब यह अटैक रात में आते हैं तो व्यक्ति सांस लेने की कोशिश में हांफते हुए उठ सकता है। समि के लिए संघर्ष करने के अलावा इस स्थिति में हार्ट रेट का बढ़ना, हर समय अज्ञात चिंता का एहसास, रेस्टलेसनेस|
अगर सांस लेने में आने वाली कठिनाई बढ़ रही है या पहली बार में ही बहुत तकलीफ दे रही है तो बिना रुके डॉक्टर से सलाह लें। अगर यह किसी सामान्य कारण से है तो इसका तुरंत इलाज हो जाएगा और आपको आराम मिल जाएगा और अगर यह किसी गंभीर वजह से हो रहा है तो तुरंत सामने आ सकते हैं।
इलाज मिलने से इसपर नियंत्रण किया जा सकेगा। डॉक्टर कई जांचों के बाद समस्या को जानकर उसके हिसाब से दवाइयों के अलावा सही खानपान, भरपूर नींद लेने और व्यायाम की सलाह दे सकते हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज ऐसे कई मामलों में बहुत फायदेमंद हो सकती है।
अस्थमा : सांसों से जुड़ी एक गंभीर समस्या जिसके शिकार बच्चे भी काफी तादाद में हो रहे हैं। इसके कारण भी व्यक्ति सांस लेने के लिए संघर्ष कर सकता है। इस समस्या में सांस लेने में होने वाली तकलीफ के अलावा खांसी, सांसों में परपराहट, छाती में जकड़न आदि लक्षण भी उभर सकते।
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी "डिजीज: फेफड़ों के एक हिस्से को होने वाले नुकसान की वजह से सीओपीडी की समस्या होती है। इसके लक्षण सामान्यतः व्यक्ति के नींद में रहते समय उभरते हैं।
ऐसे में वे सांस लेने की कोशिश में जाग जाते हैं या उन्हें दम घुटने जैसा एहसास भी हो सकता है। इस समस्या में भी सांसों में परपराहट, म्यूकस का बहुत ज्यादा होना, खांसी, थकान और छाती में जकड़न जैसे लक्षण|
हार्ट फेलियर: यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। सांसों में कमी इसका सबसे आम लक्षण है। पहली बार में व्यक्ति केवल किसी फिजिकल एक्टिविटी के समय इसे महसूस कर सकता है लेकिन जैसे-जैसे समस्या बढ़ती है उसे आराम करते समय या नींद के दौरान भी सांस लेने में कठिनाई आ सकती है। इसके साथ ही उसे थकान, पैरों में सूजन, पेट पर सूजन या सीने में दर्द भी हो सकता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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