ज्यादातर लोग आमतौर पर अपने मन से इलाज करने के लिए दवाइयों का सेवन कर लेते हैं। परिणाम जाने बगैर। सिरदर्द से लेकर बुखार, डायरिया, उल्टी आदि के इलाज की दवाई और विभिन्न सप्लीमेंट्स तक न केवल लोग खुद प्रयोग में लाते हैं बल्कि समय आने पर दूसरों को भी सलाह दे देते हैं।
समय सीमा और मात्रा-
यह सबसे खास बात है। इस सप्लीमेंट के सेवन की सलाह डॉक्टर न केवल विशेष परिस्थितियों में देते हैं, बल्कि इसकी मात्रा और कितने समय तक इसे लेना है, इस बात को लेकर भी खास सावधानी बरतते हैं।
यही नहीं यह सप्लीमेंट सिंथेटिक और नैचुरल दो मुख्य प्रकारों में बाजार में उपलब्ध होता है। इनमें से कौन-सा, किस व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुरूप सही होगा, इसकी सही सलाह भी डॉक्टर ही दे सकते हैं। हर ब्रांड में अलग इंग्रेडिएंट्स हो सकते हैं। ऐसे में बिना सलाह इसका सेवन उल्टा समस्या पैदा कर सकता है।
सेवन का तरीका-
मेलाटोनिन का बिना वजह या बिना डॉक्टर की सलाह सेवन करना गलत असर डाल सकता है, यह तो एक तथ्य है ही। कई बार इसकी लत भी लग सकती है। यही कारण है कि डॉक्टर एक निश्चित समय के लिए इसके सेवन की सलाह देते हैं। इसके सेवन के लिए कई अन्य हिदायतें भी दी जाती हैं।
उदाहरण के लिए सोने के कितने समय पहले इसका सेवन करना है, जेट लेग की स्थिति में कितने दिन पहले इसका सेवन करना या नाइट शिफ्ट करने वालों को यह सप्लीमेंट किस समय लेना है, आदि।
गलत समय पर लेने का खामियाजा-
इस सप्लीमेंट का सेवन अपने मन से करने के दुष्परिणाम को सिर्फ इस बात से ही समझा जा सकता है कि यदि इसका सेवन गलत समय पर किया तो भी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसके कुछ साइड इफेक्ट्स में शामिल हैं:-
• नॉशिया,
• चक्कर आना,
• सिरदर्द,
• उनींदापन,
• चिड़चिड़ाहट,
इन स्थितियों में खास समस्या-
• गर्भावस्था और स्तनपान,
• गठिया रोग,
• मिर्गी के दौरों की स्थिति में,
• डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को,
नींद के लिए कुछ सामान्य उपाय-
• योग और ध्यान का उपयोग,
• नियमित एक ही समय पर सोना,
• सोने से पहले सारे गैजेट्स और स्क्रीन को बंद कर देना, सोने से पहले नहाना या गुनगुने पानी से हाथ-पैर धोना तथा धीमा संगीत सुनना|
डॉ. विक्रम सिंह चौहान एंडोक्राइनोलॉजिस्ट कहते हैं कि मूलतः मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो दिमाग की पीनियल ग्रंथि में बनता है। प्राकृतिक तौर से बनने वाला यह रसायन नींद के चक्र को नियंत्रित करने का काम करता है। यह पूरी प्रक्रिया आपके आस-पास मौजूद उजाले या लाइट से भी जुड़ी होती है।
किसी भी व्यक्ति के मेलाटोनिन का स्तर आमतौर पर तब बढ़ना शुरू होता है जब सूरज डूबता है और रात के समय यह उच्चतम होता है। सुबह सुबह यह स्तर कम हो जाता है। जिससे आपको उठने में मदद मिलती है।
रात में बढ़ने और दिन में इसके स्तर के गिर जाने के कारण इसे एक नाम और भी दिया जाता है- 'ड्रैक्युला ऑफ हार्मोन्स’ इस हार्मोन के बनने की प्रक्रिया पर सर्दियों के छोटे दिन और उम्र के बढ़ने जैसी स्थितियों का असर भी होता है।
बीमारियों में सप्लीमेंट-
जाहिर सी बात है कि यदि आपकी नींद का चक्र संतुलित होता है तो आपको किसी बाहरी साधन की जरूरत ही नहीं होती। लेकिन कुछ बीमारियों या विशेष स्थितियों में नींद के चक्र को संतुलित करने के लिए डॉक्टर मेलाटोनिन के सप्लीमेंट्स के सेवन की सलाह दे सकते हैं। इनमें शामिल हैं-
• इन्सोम्निया,
• नेत्रहीन लोगों में सर्केडियन रिदम डिसऑर्डर्स,
• जेट लेग्स,
• डिलेड स्लीप डिसॉर्डर (जब नींद का सामान्य पैटर्न गड़बड़ा जाता है)|
शिफ्ट में काम करने वालों के लिए ..
किसी प्रकार की विकलांगता से ग्रसित बच्चों के लिए जिनके सोने-जागने के चक्र में असंतुलन हो|
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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