 Published By:धर्म पुराण डेस्क
 Published By:धर्म पुराण डेस्क
					 
					
                    
पंडित बाद बदे सो झूठा ।
राम के कहे जगत गति पावै, खाँड़ कहे मुख मीठा ॥
पावक कहै पाँव जो डाहै, जल कहै तृषा बुझाई ।
भोजन कहै भूख जो भाजै, तो दुनिया तरि जाई ॥1॥
नर के संग सुवा हरि बोले, हरि प्रताप न जाने ।
जो कबहीं उड़ि जाय जंगल में, तो हरि सुरति न आनै ॥2॥
बिनु देखे बिनु अर्स पर्स बिनु, नाम लिये क्या होई ।
धन के कहै धनिक जो होवै, निर्धन रहै न कोई ॥3॥
साँची प्रीति विषय माया सो, हरि भक्तन की फाँसी ।
कहहिं कबीर एक राम भजे बिनु, बाँधे यमपुर जासी ॥4॥
भावार्थ- कबीर दास जी कहते हैं कि केवल शास्त्र के आधार पर बातें करना ठीक नहीं है. पंडित लोग भी शास्त्र के आधार पर ही अनुभूति रहित बातें किया करते हैं जो बिल्कुल निरर्थक, असत्य एवं सारहीन है.
ईश्वर को पाने के लिए सच्ची अनुरक्ति होनी चाहिए. इस संसार में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो राम नाम का उच्चारण तो करते हैं, लेकिन उनकी इस नाम के प्रति कोई श्रद्धा या आस्था नहीं रहती है. ऐसे लोगों द्वारा राम-नाम का उच्चारण कोई अर्थ नहीं रखता.
यहां कबीर के कहने का तात्पर्य यह है कि राम नाम का केवल उच्चारण करने से संसार का कोई व्यक्ति उसी प्रकार मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकता जिस प्रकार शक्कर का नाम ले लेने से किसी का मुंह मीठा नहीं होता.
इसी बात को वे आगे अन्य उदाहरणों द्वारा समझाते हुए कहते हैं कि यदि आग का नाम ले लेने से किसी का पैर जल जाये, जल का नाम ले लेने से किसी की प्यास बुझ जाये और भोजन का नाम ले लेने से किसी का पेट भर जाए तो राम का नाम ले लेने से भी लोग भवसागर पार कर जायेंगे.
घर में पला हुआ तोता लोगों के साथ रह कर राम नाम का उच्चारण करने लगता है, लेकिन वह नाम के गर्ग, माहात्म्य एवं महिमा से अनभिज्ञ रहता है तथा जब कभी वह उड़ कर जंगल में चला जाता है तो उसे फिर कभी राम नाम की याद भी नहीं आती है. राम-नाम की महिमा की कौन कहे वह राम का नाम भी भूल जाता है.
कबीर दास जी आगे कहते हैं कि बिना देखे, बिना अनुभूति और स्पर्श किये किसी वस्तु का नाम ले लेने से ही वह वस्तु व्यक्ति को नहीं मिल जाती है. यदि धन का नाम ले लेने मात्र से ही व्यक्ति धनी बन जाता तो इस संसार में कोई भी व्यक्ति निर्धन नहीं रहता. इस संसार की तो रीति ही उल्टी है. साधारणतः लोग विषय-वासना में लिप्त रहते हैं और उसी से सच्चा प्रेम करते हैं तथा भगवान के भक्तों का मजाक एवं हंसी उड़ाते हैं,
कबीर दास जी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यदि हृदय में प्रभु के प्रति प्रेम नहीं है तो राम नाम का उच्चारण करने वाले की भी वही गति होती है जो साधारण जनों की होती है अर्थात् उसे बांध कर यमपुरी ले जाया जाता है.
प्रस्तुत पद में कबीर दास जी ने इस बात पर बल दिया है कि ईश्वर के प्रति सच्ची अनुरक्ति ही व्यक्ति को इस भव-बंधन से मुक्त करा सकती है. आस्थाहीन होकर प्रभु का नाम लेने या चोला बदल लेने से ईश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है.
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                