बौद्ध रहते हुए उन्होंने 5 लाख लोगों को बौद्ध बनाया और काठमांडू जाकर अमेरिकी प्रेरणा से संचालित World Buddhist conference. में भाग लिया।
उन्हें भगवान बुद्ध के त्रिरत्न एवं पंचशील से संतोष नहीं हुआ और 22 सनातन धर्म विरोधी प्रतिज्ञाएं कल्पित कर प्रचारित कीं। अतः वे नए पंथ के प्रवर्तक 1 माह 23 दिन रहे जिसे बौद्ध कहना भगवान बुद्ध का अपमान करना है।
वह नव अम्बेडकर पंथ है। बौद्ध धर्म कदापि नहीं। बौद्ध धर्म उन्हें अपर्याप्त लगा। उस आवरण में अपनी 22 प्रतिज्ञाएँ प्रचारित कीं।
संविधान लिखते समय वे सनातन हिन्दू थे।
राज्यसभा के सांसद वे हिन्दू होते हुए बने थे।
भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री व हिन्दू के रूप में बने थे।
वायसराय की कार्यकारिणी समिति के श्रम मंत्री वे हिन्दू होते हुए ही थे।
मुम्बई विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता भी 11 वर्ष वे हिन्दू होते हुए ही रहे।
इनमें से कोई कार्य बौद्ध होकर नहीं किया।
संविधान लिखते समय वे सनातनी हिन्दू थे।
जो लोग उनके बौद्ध रूप के समर्थक हैं, उन्हें उनको संविधान निर्माता आदि कहने का अधिकार नहीं है। क्योंकि ये सब तो हिन्दू अम्बेडकर ने किए थे। बौद्ध अम्बेडकर ने नहीं ।
(इतिहास व धर्म विद रामेश्वर मिश्र पंकज की वाल से ...)
Rameshwar Mishra Pankaj
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024