नागासन-
इस आसन को भुजंगासन नाम से भी जाना जाता है।
जमीन पर पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को शरीर के दोनों तरफ इस तरह रखें कि हथेलियों ऊपर की ओर रहें। सिर एक और घुमा कर रखें।
अब सिर को सीधा घुमाकर ठोड़ो को जमीन पर टिकाएं। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़े दोनों हाथों को दोही के नीचे इस प्रकार रखें कि उंगलियों के सिरे एक-दूसरे जो हुए और कोहनियों को जमीन से टिकाकर रखें।
धीरे-धीरे अंदर सांस लें और हाथों पर दबाव देते हुए कमर से शरीर का आगे का भाग ऊपर की ओर उठाएं और हाथ सीधे कर लें, जिससे रोड़ की हड्डी पीछे की ओर कमान की तरह मुड़ जाए।
सिर को जितना पीछे की ओर से जा सकते हो, ले जाएं और एक गहरी सांस लें। आधा से तीन मिनट तक इसी मुद्रा में रुके रहे अथवा धीरे-धीरे सामान्य रूप से सांस लेते रहे। सांस छोड़ते हुए पूर्व की स्थिति में आ जाएं। इस आसन को 2 से 5 बार दोहराएं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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