पानी में डूब जाना एक सामान्य दुर्घटना है। पानी में डूबा व्यक्ति बचने के लिये हाथ-पैर फेंकता है, छटपटाता है जिससे नाक और मुँह के द्वारा पेट में पानी भर जाता है। पानी भर जाने से श्वास रुक जाती है और बेहोशी आ जाने के कारण मृत्यु हो जाती है।
प्राथमिक उपचार-
(1) डूबे व्यक्ति को सुरक्षित ढंग से पानी से बाहर निकालकर उसके पेट के अंदर भरा हुआ पानी निकालने का प्रयास करना चाहिये| नाक में कीचड़ आदि लगा हो तो कपड़े से साफ कर दे। दांतों के बीच कोई कड़ी वस्तु फँसा दे ताकि दाँत-पर-दाँत बैठकर मुंह बंद न हो जाय।
रोगी को पेट के बल लिटा कर उसके कमर के नीचे दोनों हाथ डालकर बार-बार ऊपर उठाये। इससे फेफड़ों में जमा पानी बाहर निकल आएगा। डूबे व्यक्ति को पेट के बल अपने सिर पर रखकर एक ही स्थान पर गोलाई में घूमने से भी पेट में गया पानी निकल आयेगा।
(2) देखे कि श्वास ठीक से चल रही है कि नहीं। नाडी की गति है कि नहीं, हृदय धड़क रहा है कि नहीं। श्वास रुक-रुककर चल रही हो तो सुँघनी आदि कोई ऐसी वस्तु सुँघाये कि छींक आ जाय। चूने में नौसादर मिलाकर सुँघा सकते हैं। छींक आने से श्वास ठीक से चलने लगेगी। सीने को बार-बार दबाये एवं छोड़े।
पेट के बल उल्टा लिटा कर पेट के नीचे गोल तकिया रख दे। पीठ को लगातार दबाये तथा छोड़े। इससे फेफड़ों की हवा बाहर निकलेगी, छोड़ने पर हवा भीतर जाएगी। यदि इससे भी पूरी तरह से श्वास न चले तो मुँह-में-मुँह लगाकर कृत्रिम श्वसन देकर श्वास चलाने का प्रयास करें।
पानी में डूबे व्यक्ति का यह उपचार तभी सार्थक होता है जबकि डूबे व्यक्ति को बाहर निकालने पर उसका शरीर गर्म हो और हाथ-पैर शिथिल न पड़ गये हों। सफलता के चिह्न न दिखायी पड़ने पर तत्काल निकट के चिकित्सालय में रोगी को पहुँचाना चाहिये।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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