दुश्वार ज़िन्दगी न हो अब जाग जाइए।
व्याकुल धरा ये कह रही पौधे लगाइए।।
ग़र चाहते ज़मीं पे हो ख़ुशहाल ज़िन्दगी,
हर घर में एक पेड़ सुधी जन लगाइए।
भोजन, हवा, दावा, दुआ देते हैं ये शज़र,
पर्यावरण ... सुधारने.. उपवन सजाइये।
पेड़ों से ये ज़मीं है, बरसते हैं मेघ भी,
सोए जो गहरी नींद में उनको जगाइए।
फल-फूल प्राणवायु व छाया भी दे रहे,
वृक्षों से ज़िन्दगी है सभी जान जाइए।
मुद्दत से चीख-चीख धरा हमसे कह रही,
काटे बहुत हैं पेड़ नहीं अब कटाइए।
खाएँ शज़र न फल कभी, नदियाँ पियें न नीर,
क़ुदरत की नेमतें सभी मिलकर बचाइए।
तिश्ना लबों का दर्द ज़मीं कब से कह रही,
मेरी भी.. आरज़ू... सभी.. पौधे लगाइए।
पर्यावरण के दूत... तपस्वी.. बड़े शज़र,
दिल से कहे 'कमल' सभी पौधे लगाइए।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024