Published By:धर्म पुराण डेस्क

मार्गशीर्ष मास के व्रत-पर्व और महत्व

बीड़पञ्चमी, मनसादेवीशयनम्, मार्गशीर्ष कृष्ण पञ्चमी:

इस दिन नाग-पूजा का पर्व मनाया जाता है, जो श्रावण कृष्ण पञ्चमी से शुरू होता है और मार्गशीर्ष कृष्ण पञ्चमी को समाप्त होता है। इस दिन मान्यता के अनुसार नागों की देवी मनसा शयन हेतु चली जाती है।

उत्पन्ना एकादशी व्रत, मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी:

इस दिन व्रती अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए उत्पन्ना एकादशी व्रत का पालन करते हैं।

विवाह-पञ्चमी, मार्गशीर्ष शुक्ल पञ्चमी:

इस दिन श्री राम और जगज्जननी सीता का विवाह हुआ था। इस दिन विभिन्न स्थानों पर विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।

मोक्षदा एकादशी एवं गीता-जयन्ती, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी:

इस दिन भगवान् श्रीकृष्ण ने महाभारत की युद्धभूमि में भगवद्गीता का उपदेश दिया था। यह दिन गीता-जयन्ती के रूप में मनाया जाता है।

पूर्णिमा व्रत:

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा के दिन व्रती विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

हरिहरक्षेत्र स्नान, मार्गशीर्ष पूर्णिमा:

इस दिन सोनपुर में गंगा, गंडक, और सोन के मिलन क्षेत्र में स्नान करने का महत्व है। यहाँ स्नान करने से विभिन्न पुण्यार्जन होता है।

इन पर्व-त्योहारों के दिन भक्ति, पूजा, और विशेष रूप से आयोजित की जाने वाली कथाएं और कार्यक्रम व्रती लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से संबोधित करती हैं।

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