Published By:अतुल विनोद

मुर्खता और अन्धविश्वास …-------------- अतुल विनोद

1. धर्म तकलीफों की रेमेडी के लिए नहीं है| 

2. धर्म और अध्यात्म की आड़ में दुखों का अंत और सुख की दरिया बहाने का दावा करने वाले हमेशा फलते फूलते रहे हैं|  

3. धर्म कोई मेथड नहीं जो आपको बीमारी और गरीबी से मिनटों में मुक्ति देगी| 

4. जब धर्म कर्म और कर्म फल की शिक्षा देता है तो कर्म के कारण मिले दुखों से पल भर में मुक्ति कैसे दे सकता है?  

5. धर्म कष्ट के कारण की समझ दे सकता है|

6. धर्म जीवन की दिशा बता सकता है धर्म ईश्वर से जुड़ने का तरीका बता सकता है| 

7. धर्म नीम हकीम जादूगरी और झाडफूंक नहीं है| 

8. धर्म जीवन से भागने की शिक्षा भी नहीं देता| 

9. धर्म मोक्ष के लिए आत्महत्या करने की बात नहीं करता|  

10. धर्म हमे कर्म की शिक्षा देता है निष्काम कर्म| 

11. अपना काम करते रहो| लगे रहो रिजल्ट के बारे में भी नहीं सोचो|  

12. धर्म जीवन की ज़रूरतों को पूरी करने की सलाह देता है|  

13. धर्म ज़बरदस्ती सन्यास नहीं लादता| 

14. धर्म दुःख के साथ जीने की भी बात नही करता न ही दुःख से भागने को कहता है|  

15. अंधविश्वास और कट्टर दुराग्रह धर्म नहीं| सभी धर्मो के अनुयायी यही बोलते है कि हमारे धर्म की पुस्तक ईश्वर ने भेजी है या आसमान से आई है| किताबें कभी आसमान से नहीं आती हाँ ज्ञान ज़रूर उतरता है| ज्ञान विशुद्ध होता है लेकिन लिखने वाले, व्यख्या करने वाले, अनुवाद और संस्करण करने वाले उसमे जो मिलावट कर देते हैं उस मिलावट के कारण ही अंधविश्वास पैदा होता है| ये मिलावट ही मुर्खता है|

 

धर्म जगत

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