Published By:धर्म पुराण डेस्क

राहु के कारण मोती रत्न तथा योग का निर्माण

राहु के स्वाति नक्षत्र में सूर्य के भ्रमण करते समय यदि वर्षा हो और उसकी एक बूंद भी सीप में प्रविष्ट हो जाय तो वह बूंद मोती का रूप ग्रहण कर लेती है। इस प्रकार राहु के नक्षत्र स्वाति के कारण असली मोती का निर्माण होता है।

सुसिद्धि योग रविवार को - मूल, शनिवार को स्वाति नक्षत्र होने पर यह योग बनता है। इसे प्रत्येक शुभ कार्य में उत्तम माना गया है। 

अमृतसिद्धि योग मंगलवार को - अश्विनी नक्षत्र होने पर अमृतसिद्धि योग बनता है, यह भी शुभ कार्य हेतु अति उत्तम योग है।

सवार्थ सिद्धि योग रविवार को - मूल व अश्विनी नक्षत्र हो, मंगलवार को अश्विनी, गुरुवार को अश्विनी तथा शुक्रवार को भी अश्विनी नक्षत्र हो तो सभी कार्य शुभ और सिद्ध होते हैं।

विशेष- उपयुक्त योग तिथि के अलावा कुयोग भी हो जाते हैं जैसे रविवार को पंचमी, सोमवार को षष्ठी, मंगलवार को सप्तमी, बुधवार को अष्टमी, गुरुवार को नवमी, शुक्रवार को दशमी तथा शनिवार को एकादशी हो, तो शुभ योगों के होते हुए भी अशुभ फल प्राप्त होगा।

ग्रह प्रवेश हेतु मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र अशुभ माना गया है।

मृत्युयोग - मंगलवार को शतभिषा, बुधवार को अश्विनी नक्षत्र हो, तो मृत्यु योग बनता है।

कालयोग - गुरुवार को आर्द्रा तथा शुक्रवार को मघा नक्षत्र होने पर काल योग बनता है।

अन्य कई और भी योग अन्य नक्षत्रों से बनते हैं, जो इस विशेषांक की विषयवस्तु नहीं है।
 

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