Published By:धर्म पुराण डेस्क

गायत्री माँ: जगत की माँ, ज्ञान की धारिणी

गायत्री माँ भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवी हैं। वे सद्गुणों, ज्ञान की देवी हैं और उन्हें "वेदमाता" और "विश्वमाता" के रूप में जाना जाता है। गायत्री मंत्र, जो वेदों में पाया जाता है, गायत्री माँ की महिमा को प्रकट करने के लिए उपयोग किया जाता है।

गायत्री माँ के मात्र रूप में, वे सत्य, रजस, और तमस के गुणों के प्रतीक हैं। इन तीनों गुणों के साथ वे ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर के रूप में भी प्रस्तुत होती हैं। ये तीन देवताओं के माध्यम से उत्पत्ति, पोषण, और परिवर्तन की शक्तियों का प्रतीक हैं।

गायत्री माँ का मंत्र - "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्" - भगवान सूर्य की स्तुति है और ज्ञान के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। गायत्री मंत्र की जपन साधना जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का स्रोत माना जाता है।

गायत्री माँ और उनके मंत्र का महत्व अत्यधिक है, और वे ज्ञान की देवी के रूप में हमें दिशा देती हैं और जीवन के सभी पहलुओं में हमारे मार्गदर्शन करती हैं।

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