टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो 'माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस' नामक जीवाणु के कारण होती है, परंतु इसे सही उपचार और दवा से रोका जा सकता है और ठीक किया जा सकता है पूरा इलाज।
टीबी मौत का कारण बन सकती है-
क्या होते हैं टीबी के लक्षण..
* यदि दो सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी आ रही हो तो चिकित्सक को दिखाएं,
* रात्रि में पसीना,
* भूख ना लगना,
* बुखार आना,
* एकाएक वजन कम होते चले जाना,
टीबी का रोगाणु आमतौर पर फेफड़ों पर अधिक हमला करता है। परंतु ये रोगाणु खून के माध्यम से शरीर के अन्य अंगों में भी फैल जाता है एवं मस्तिष्क, गला, गठान, फेफड़ों, हड्डी, रीढ़ या गुर्दे आदि में भी टीबी हो जाती है। कुछ मरीज टीबी बैक्टीरिया से लड़ने से पहले संक्रमित होने के कुछ ही समय बाद (सप्ताह के भीतर) टीबी रोग विकसित कर सकते हैं। जब किसी वजह से मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी अन्य कारण से कमजोर हो जाती है तो वे समय बाद भी बीमार हो सकते हैं।
टीबी होने का खतरा किन-किन को होता है..
• वे मरीज जो हाल ही में टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित हुए हैं।
• 5 साल से कम उम्र के बच्चे जिनकी टीबी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई हो।
जो मरीज इन उद्योगों में काम करते हैं उन्हें टीबी होने का जोखिम सबसे अधिक होता है। उनके फेफड़ों पर सबसे पहले असर होता है।
• सिलिकोसिस यानी स्लेट पेंसिल उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों को यह रोग होता है।
• गंभीर गुर्दे की बीमारी धूम्रपान कुपोषण अंग प्रत्यारोपण कैंसर की बीमारी आदि।
बहुत धीरे-धीरे मरता है यह बैक्टीरिया-
टीबी बैक्टीरिया बहुत धीरे-धीरे मरता है इसलिए इसका पूरा इलाज करना अति आवश्यक है। यदि टीबी दवाएं लेने के कुछ हफ्तों के बाद कोई बेहतर महसूस करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि सभी टीबी रोगाणु मर चुके हैं अत: पूरा इलाज लिया जाना अत्यंत आवश्यक है।
टीबी के मरीज टीबी रोगाणुओं को दूसरों तक फैला सकते हैं। लेकिन अगर वे टीबी, दवा को सही तरीके से लेते हैं, तो वे टीबी रोगाणुओं को दूसरों को नहीं बांट सकेंगे। टीबी का इलाज नहीं कराने वाले मरीज समाज के लिए ज्यादा खतरनाक होते हैं।
टीबी की दवाओं के साइड इफेक्ट्स-
* किसी भी दवाई की तरह टीवी की दवाओं के भी दुष्प्रभाव होते हैं. बैठने, खड़े होने या लेटने पर चक्कर आना।
* कम भूख, भूख नहीं लगना, पेट की खराबी, मतली या उल्टी आपके निचले सीने में दर्द या नाराजगी एवं चिड़चिड़ापन, बुखार के साथ या बिना पलू जैसे लक्षण।
* गंभीर थकान या कमजोरी।
* बुखार या ठंड लगना।
* गंभीर दस्त या हल्के रंग का मल।
ये सावधानियां भी रखें..
शरीर पर दवाओं का अलग-अलग तरह से असर होता है। यदि मरीज को लगता है कि उपचार की कोई प्रतिक्रिया हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। आमतौर पर देखा जाता है की ज्यादातर मरीज बिना किसी समस्या के अपनी टीबी की दवा ले सकते हैं।
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