Published By:धर्म पुराण डेस्क

अलग अलग समस्याओं के लिए भिन्न भिन्न देवी देवता के गायत्री मन्त्र के जाप से पाए दुखों से छुटकारा…

हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र का बड़ा महत्व है. इस मंत्र में अद्भुत शक्तियां हैं। 

धार्मिक शास्त्रों में इस मंत्र को महामंत्र बताया गया है क्योंकि इसे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का सार माना जाता है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार जब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया था तो उन्होंने कहा, "गायत्री छन्दसामहम्’ अर्थात् ‘गायत्री मंत्र स्वयं मैं ही हूं।’

महामंत्र में प्रमुख चार शब्द आते हैं, "भूर्भुव: स्व:’। इसके बाद ओम का संधि विच्छेद करने पर अ, उ, म तीन मात्राओं से बनता है जो ‘अ’ अग्रि, ‘उ’ वायु और ‘म’ आदित्य को दर्शाता है फिर ‘भू’ पृथ्वीलोक, ‘र्भुव:’ अंतरिक्ष लोक और ‘स्व:’ द्युलोक आदित्य देवता और सुषुप्ति का सूचक है। 

ऋग्वेद के अनुसार गायत्री एक छन्द है जो इसके छन्द ‘तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ मेल से बना हुआ है। गायत्री मंत्र के अधिष्ठात्री देवी सविता है, जो सूर्य की संज्ञा है.

विभिन्न प्रकार के गायत्री मंत्रों के बारे में जिसके जाप से कष्टों और दुखों से छुटकारा मिल सकता है।

मूल गायत्री मंत्र:-

‘भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’।

अर्थात उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें। इस गायत्री मंत्र का जप करने से व्यक्ति का जीवन सार्थक हो जाता है। जीवन के सभी दुखों का विनाश हो जाता है और मोक्ष का मार्ग खुलता है।

1. गणेश गायत्री मंत्र:-

एक दृष्टाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात्।

इस मंत्र का प्रतिदिन जप करने से समस्त कष्टों से निवृत्ति हो जाती है।

2. विष्णु गायत्री मंत्र:-

नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्।

इस मंत्र का प्रतिदिन जप करने से परिवार में कलह समाप्त होती है और दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।

3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र:-

महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।

लक्ष्मी से ही सभी आर्थिक कार्य बनते हैं इसलिए लक्ष्मी गायत्री मंत्र का जो कोई प्रतिदिन जप करता है उसके पास लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं और जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती।

4. तुलसी गायत्री मंत्र:-

श्रीतुलस्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।

इस मंत्र के जप से विष्णु जी प्रसन्न होते है और परमार्थ की भावना का उदय होता है।

5. सरस्वती गायत्री मंत्र:-

सरस्वत्यै विद्महे ब्रमपुत्रयै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्।

यह मंत्र विद्यार्थी को उत्तम विद्या की प्राप्ति कराता है तथा बुद्धि बल और स्मरण शक्ति को सुदृढ़ करता है।

6. शिव गायत्री मंत्र:-

पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र: प्रचोदयात्।

यह जीवन का कल्याण करने का मंत्र है।

7. कृष्ण गायत्री मंत्र:

देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण: प्रचोदयात्।

इस मंत्र के जप से प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है और बैकुंठ का रास्ता खुलता है।

8. राधा गायत्री मंत्र:-

वृषभानुजायै विद्महे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।

राधा गायत्री मंत्र प्रेम मंत्र है। जीवन में प्रेम पाने के लिए राधा गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।

9. राम गायत्री मंत्र:-

दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।

यह मंत्र मान-सम्मान पद-प्रतिष्ठा बढ़ाता है।

10. सीता गायत्री मंत्र:-

जनकनन्दिन्यै विद्महे भूमिजायै धीमहि तन्नो सीता प्रचोदयात्।

तप की शक्ति का अचूक मंत्र है सीता गायत्री मंत्र। [मुक्ति मार्ग ]

11. हनुमान गायत्री मंत्र:-

अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारूति: प्रचोदयात्

कर्म के प्रति निष्ठा और सेवा की भावना को जीवन में जागृत करता है हनुमान गायत्री मंत्र।

12. हंस गायत्री मंत्र:-

परमहंसाय विद्महे महाहंसाय धीमहि तन्नो हंस: प्रचोदयात्।

विल पावर को बढ़ाने, और उत्तम बुद्धि की प्राप्ति के लिए हंस गायत्री मन्त्र का जप करना चाहिए।

13. नारायण गायत्री मंत्र:-

नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो नारायण प्रचोदयात्।

इस मंत्र को जपने से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं सरकारी कार्य बनते हैं और जीवन उच्च

बनता है।

14. हयग्रीव गायत्री मंत्र:-

वागीश्वराय विद्महे हयग्रीवाय धीमहि तन्नो हयग्रीव: प्रचोदयात्।

समस्त भयों को दूर करता है हयग्रीव गायत्री मंत्र।

15. नृसिंह गायत्री मंत्र:-

उग्रनृसिंहाय विद्महे वज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।

नृसिंह गायत्री मंत्र का जप करने से मनुष्य के पुरुषार्थ, पराक्रम और बल में वृद्धि होती है।

16. अग्रि गायत्री मंत्र:-

महाज्वालाय विद्महे अग्रिदेवाय धीमहि तन्नो अग्नि प्रचोदयात्।

अग्रि गायत्री मंत्र का जप करने से शरीर और इंद्रियों में तेज का संचार होता है।

17. इन्द्र गायत्री मंत्र:-

सहस्त्रानेत्राय विद्महे वज्रहस्ताय धीमहि तन्नो इन्द्र प्रचोदयात्।

यह मंत्र मुकदमे में विजय दिलाता है और शत्रुओं का दमन करता है।

18. दुर्गा गायत्री मंत्र:-

गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

सभी दुखों का निवारण और शत्रुओं पर विजय के लिए दुर्गा गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए।

19. पृथ्वी गायत्री मंत्र:-

पृथ्वीदेव्यै विद्महे सहस्त्रामूत्यै धीमहि तन्नो पृथ्वी प्रचोदयात्।

इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य को सहनशीलता प्राप्त होती है, सहिष्णुता की वृद्धि होती है।

20. सूर्य गायत्री मंत्र:-

भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।

सभी रोगों का रामबाण इलाज है सूर्य गायत्री मंत्र। 

21. चन्द्र गायत्री मंत्र:-

क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्वाय धीमहि तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात्।

जीवन में निराशा दूर करने और मानसिकता को प्रबल करने एवं विल पावर को बढ़ाने का अचूक मंत्र चन्द्र गायत्री मन्त्र है ।

22. यम गायत्री मंत्र:-

सूर्यपुत्राय विद्महे महाकालाय धीमहि तन्नो यम: प्रचोदयात्।

मृत्यु के भय से मुक्ति देता है यम गायत्री मंत्र।

23. ब्रह्म गायत्री मंत्र:-

चतुर्मुखाय विद्महे हंसारूढ़ाय धीमहि तन्नो ब्रह्मा प्रचोदयात्।

व्यवसाय में परेशानियों को हरता है ब्रह्म गायत्री मंत्र।

24. वरुण गायत्री मंत्र:-

जलबिम्वाय विद्महे नीलपुरूषाय धीमहि तन्नो वरूण: प्रचोदयात्।

भावनाओं और प्रेम को बढ़ाता है वरुण गायत्री मंत्र।


 

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