यदि आपको सफल होना है, तो प्रतिदिन किसी भी शिव मंदिर में निष्काम, निस्वार्थ भावना से अवश्य जाएं। एक नियम बना लेंवे कि स्नान से पूर्व कुछ न खाएं।
मंदिर में शिव दर्शन के पश्चात् ही कुछ अन्न ग्रहण करें। कुछ समय पश्चात आप काफी प्रसन्नता महसूस करेंगे, दरअसल प्रतिदिन मंदिर जाने से लाभ यह होता है कि हमारी जो नकारात्मक ऊर्जा है, वह नष्ट हो जाती है और शिव दर्शन से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होने लगती है।
हम आनंद से भरने लगते हैं। जब हम आनंद से भावविभोर हो जायेंगे, तो हमारे अंदर शक्ति का संचार होगा। हम भावुक होकर जब उस दयावान भोले से प्रार्थना करेंगे, तो वे निश्चित ही कृपा करेंगे।
वैसे भी ग्रंथों में उल्लेख है कि प्रार्थनाएँ कभी अनसुनी नहीं जाती। सारा कष्ट दुःख, भार उन्हीं पर सौंप दो कुछ इस प्रकार कि-
अब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में,
है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में ।
यदि मनुष्य का मुझे जन्म मिले मैं पुजारी बनूँ शिव चरणों का,
इस सेवक की इक-इक नस का, रहे तार तुम्हारे हाथों में ।
मुझमें-तुझमें बस भेद यही मैं नर हूँ,
तुम नारायण हो मैं हूँ संसार के हाथों में संसार तुम्हारे हाथों में ।
(नोट: इसमें भजन के कुछ ही अंश लिए हैं।)
फिर भी चिंता करना महामूर्खता है, जब हम कुछ परिवर्तन ही नहीं कर पा रहे हैं तो सब कुछ भोले नाथ पर छोड़ देवें|
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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