जीवन में मरना भला, जो मरि जानै कोय।
मरना पहिले जो मरै, अजर अमर सो होय।।
अर्थ: जीते जी ही मरना अच्छा है, यदि कोई मरना जाने तो। मरने के पहले ही जो मर लेता है, वह अजर-अमर हो जाता है। शरीर रहते-रहते जिसके समस्त अहंकार समाप्त हो गए, वे वासना विजयी ही जीवन मुक्त होते हैं।
यह चौपाई संत कबीर द्वारा लिखी गई है और इसमें जीवन की महिमा और आत्म विकास का संदेश छिपा है। इस चौपाई में उन्होंने जीवन और मृत्यु के विचार को उद्दीपित किया है।
संत कबीर का कहना है कि जीवन में मृत्यु का सामना करना सही तथा आवश्यक है। एक व्यक्ति जीवित रहते हुए भी अपने अहंकार, अभिमान, और वासनाओं का त्याग नहीं करता है, वह सच्चे रूप से जीवित नहीं है। उसे अपने आत्मसम्मान को पहचानने की आवश्यकता है और जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझने का प्रयास करना चाहिए।
दूसरे पक्ष संत कबीर कहते हैं कि एक व्यक्ति जिसके अहंकार और वासनाएं पूरी तरह समाप्त हो गई हैं, वह अजर-अमर हो जाता है। वह जीवन मुक्त होता है और मृत्यु के पथ से पार पा लेता है। इस चौपाई में आत्म विकास और आध्यात्मिकता का संदेश छिपा है, जो हमें अपने अहंकार को छोड़कर वास्तविक सत्य का प्रत्याशा करने के लिए प्रेरित करता है।
संत कबीर के विचार हमें यह बताते हैं कि सच्चे जीवन का अर्थ है आत्म-संयम, संतोष, और सादगी में रहना। मनुष्य जब अपने आत्म-विकास के मार्ग पर चलता है और अहंकार को त्यागता है, तो वह सच्चे और खुशहाल जीवन का आनंद जीने लगता है। इस चौपाई का उद्देश्य हमें जीवन के असली अर्थ और महिमा को समझाने के लिए प्रेरित करना है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024