 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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श्लोक- 'समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्यो'
अर्थ- भगवान कहते हैं कि वे सभी प्राणियों में सम हैं और उनका कोई वैरी नहीं हैं, और वे किसी को भी द्वेष्य नहीं मानते हैं। इसके बावजूद, भगवान दुष्टों का विनाश क्यों करते हैं?
इस संदर्भ में, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि जब भगवान अपने अवतार लेते हैं और दुष्टों का विनाश करते हैं, तो वे वास्तव में दुष्ट प्राणियों का विनाश नहीं कर रहे होते हैं, बल्कि दुष्टता और अधर्म का नाश कर रहे होते हैं। भगवान अपने अवतार के माध्यम से धर्म की स्थापना करते हैं और सत्य के लिए लड़ने के लिए उत्साहित करते हैं। उनका प्रमुख उद्देश्य दुष्टता, अधर्म, अज्ञान, और अन्य दुःखकारी गुणों को मिटाना होता है।
जब भगवान दुष्टता का विनाश करते हैं, तो वे अधर्म, अज्ञान, भ्रम, क्रोध, लोभ और अन्य दुःखकारी गुणों को नष्ट करने का प्रयास करते हैं। वे सत्य, धर्म, प्रेम, सहानुभूति, ज्ञान और आनंद के गुणों को प्रमोट करने के लिए उपास्य होते हैं। दुष्ट प्राणियों के पास भगवान का द्वेष्य नहीं होता है, लेकिन उनका उपयोग अधर्म के नाश और धर्म की स्थापना के लिए होता है।
इस प्रकार, भगवान के अवतार लेने का मुख्य उद्देश्य दुष्टता का नाश करना है और सच्चाई और धर्म की स्थापना करना है। वे सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखते हैं, लेकिन दुष्टता को नष्ट करने के लिए उनके अवतार लेने का एक महत्वपूर्ण कारण होता है।
गवान्का दुष्ट पुरुषों से विरोध नहीं है, प्रत्युत उनके दुष्कर्मों से विरोध है। कारण कि वे दुष्कर्म संसार का तथा उन दुष्टों का भी अहित करने वाले हैं। भगवान सर्व सुहृद् हैं; अतः वे संसार का तथा उन दुष्टों का भी हित करने के लिये ही दुष्टों का विनाश करते हैं। उनके द्वारा जो दुष्ट मारे जाते हैं, उनको भगवान अपने ही धाम में भेज देते हैं—यह उनकी कितनी विलक्षण उदारता है!
भगवान दुष्ट पुरुषों से विरोध नहीं करते हैं, बल्कि उनके दुष्कर्मों से विरोध करते हैं। यही कारण है कि भगवान अपने अवतारों के माध्यम से दुष्टता को नष्ट करते हैं और धर्म को स्थापित करते हैं। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है कि भगवान सभी प्राणियों के प्रति समर्पित हैं और सर्व सुहृद् हैं।
भगवान सर्वज्ञ हैं और उन्हें संसार के सभी पुरुषों की आवश्यकताओं और भावनाओं का ज्ञान होता है। जब वे दुष्ट पुरुषों का विनाश करते हैं, तो वे उनके दुष्टता और पाप को नष्ट करके उन्हें शुद्धता, धर्म और सुख की ओर प्रेरित करते हैं। भगवान दुष्ट पुरुषों का विनाश करके उन्हें शांति का आनंद प्रदान करते हैं, जो उन्हें भगवान के धाम में भेज देते हैं। इससे भगवान की अत्यंत उदारता और दयालुता प्रकट होती है।
इस प्रकार, भगवान दुष्ट पुरुषों का विनाश करके उन्हें धर्म के मार्ग पर ले जाते हैं और उन्हें अपने आत्मिक स्वरूप की प्राप्ति का मार्ग दिखाते हैं। यह भगवान की अपार उदारता है जो उन्हें सबके प्रति प्रेम और सहानुभूति की प्रदर्शित करती है।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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