प्राचीनकाल से ही यह देखने को मिलता है कि आम लोग केवल सोने-चांदी के आभूषण ही प्रयोग में लाते रहे हैं बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से सोने-चांदी के बने 'वर्क' विभिन्न प्रकार की मिठाइयों, मुरब्बों व पान (तांबूल) में भी इस्तेमाल करते आ रहे हैं.
हमारे देश के राजघरानों व बादशाहों के दरबार में इनका खासा प्रचलन रहा है जो उनकी शानो-शौकत का प्रतीक माना जाता है.
सोने-चांदी जैसी धातुओं का उपयोग 'आयुर्वेद' में सदियों से प्रचलित है. इसका उपयोग जटिल रोगों में उपचार के तौर पर किया जाता है. इन धातुओं की 'भस्मे' तो बनती ही हैं, लेकिन 'भस्म' चूंकि हरेक व्यक्ति नहीं पचा पाता, इसलिए इसके 'वर्क' बनाए जाते हैं.
वर्क की औषधीय उपयोगिता ..
प्राचीन काल में वर्क हाथों से बनते थे, लेकिन आजकल ये 'वर्क' मशीनों से बनते है, जिसमें कई गुना मिलावट होती है.
मिठाइयों पर 'वर्क' को सजाकर ग्राहकों को आकर्षित किया जाता है.
सोने-चांदी के 'वर्क' विभिन्न आहार व द्रव्यों में इस्तेमाल करने की वस्तु है. इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है और शारीरिक ताकत व दीर्घायु भी प्राप्त होती है. इससे शरीर विकार रहित रहता है.
आज भी पुराने व बड़ी उम्र के लोग इसके महत्व को स्वीकारते हैं प्रथा इसका सेवन करते हैं. सोने के वर्क की उपयोगिता को 'चरक संहिता' में परम वृष्य बताया गया है.
ऐसा माना जाता है कि जब स्त्री-पुरुष में संतानोत्पत्ति की संभावनाएं क्षीण हो जाएं तो वे प्रतिदिन सोने के 'वर्क' को गाय के दूध में डालकर पीएं तो संतान पैदा हो सकती है.
सोने का वर्क आंवला, सेब व बेल के मुरब्बे के साथ लपेट कर खाने से सिरदर्द दूर हो जाता है. इसके अलावा शीतवीर्य, वर्ण-सौंदर्य, रुचि, वाजीकर, मेधा-स्मृति बढ़ाने, राज्यक्ष्मा, वात तथा विष के उपचारों में बहुत उपयोगी माना गया है.
वैद्यों के अलावा हकीमों ने भी विभिन्न बीमारियों में वर्क को तरजीह दी है. हृदय, यकृत, स्वप्नदोष, प्रमेह व पेशाब में पथरी से रुकावट जैसे रोगों में तो यह रामबाण जैसा असरदार है.
स्त्रियों के श्वेत प्रदर, अनियमित माहवारी व उनकी शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करता है.
सोने की तरह चांदी के वर्क भी कम उपयोगी नहीं है. अनेक आयुर्वेदिक दवाओं में इसका उपयोग किया जाता है जिससे मधुर विपाकी, शीतवीर्य, स्निग्ध, बलप्रद, पित्तीय रोग, उन्माद आदि में यह तुरंत असरदार है.
इससे मस्तिष्क व हृदय को बल मिलता है साथ ही शुक्राणुओं में वृद्धि दायक है. शराब का सेवन करने वालों में उपजे रोगों में भी चांदी का वर्क लाभदायक है.
विभिन्न विकारों में आशातीत लाभ के लिए जरूरी है कि नियमित रूप से इसे आंवले के मुरब्बे के साथ लिया जाए.
चांदी का वर्क लगा मुरब्बा खाने से सिरदर्द, मस्तिष्क कमजोरी, उन्माद, कामुकता व कमजोरी में लाभ मिलता है, आंवले का मुरब्बा यदि रोज चांदी के वर्क में सुबह-सुबह खाया जाए तो नेत्र ज्योति में निश्चित ही वृद्धि होती है.
वर्क सेवन की विधि:-
सोने अथवा चांदी के वर्क इस्तेमाल करने के लिए उन्हें या तो महीन चूर्ण के रूप में बना लें अथवा मुरब्बे को चासनी से निकालकर इसके ऊपर लपेट कर खा लें. चांदी के वर्क च्यवनप्राश या फिर पान में लपेट कर खाएं तो फायदा करता है.
सोने-चांदी के वर्क खरीदते समय यह अवश्य ही ध्यान रखने योग्य बात है कि ये नकली न हों. आजकल बाजारों में रांगे से बने वर्क भी मिलते हैं जो नुकसानदायक है. इनका शरीर के विभिन्न भागों पर बुरा असर पड़ता है जिससे पथरी, गंजापन, भ्रम, दाह व दुर्बलता आने लगती है.
अतः 'वर्क' पुरानी आयुर्वेदिक दुकानों से खरीदे तो ज्यादा बेहतर होगा. हालांकि वर्क महंगे जरूर होते हैं, फिर भी इसे आवश्यकतानुसार खरीद कर उपयोग में लेना हितकर ही साबित होगा.
चेतन
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