 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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महाभारत में जब पितामह भीष्म बाणों की शय्या लेटे हुए थे। तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि तुम्हारे मन में अशांति है। तुम जाओ और अपनी उलझनों के बारे में भीष्म पितामह से बात करो। धर्म का ज्ञान रखने वालों में भीष्म सर्वश्रेष्ठ हैं। श्रीकृष्ण की बात मानकर युधिष्ठिर, श्रीकृष्ण, कृपाचार्य और सभी पांडवों के साथ कुरुक्षेत्र में पितामह भीष्म के पास पहुंचे।
बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्म ने जो उपदेश उस समय दिए, वे सभी आज भी हमारे काम आ सकते हैं। इन उपदेशों का पालन करने पर हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। भीष्म ने युधिष्ठिर को जीवन से जुड़े मूल्यवान उपदेश दिए थे। जब युधिष्ठिर ने उनकी लंबी उम्र व स्वस्थ जीवन के रहस्य जानने के लिए उपदेश देने की प्रार्थना की, तब भीष्म पितामह ने 12 खास बातें बताई थीं, जिनका ध्यान रखने पर व्यक्ति लंबी आयु तक स्वस्थ और सुखी रहता है। जानिए ये 12 बातें कौन-कौन सी हैं…
1. धर्म का पालन करें: भीष्म ने कहा कि मनुष्य को सदैव धर्म का पालन करना चाहिए। धर्म का पालन करने से मनुष्य की आयु बढ़ती है और उसे सुख और शांति प्राप्त होती है।
2. क्रोध को त्यागें: भीष्म ने बताया कि क्रोध व्यक्ति के लिए हानिकारक होता है। उन्होंने सलाह दी कि हमेशा क्रोध को नियंत्रित करें और उसे त्याग दें।
3. ब्रह्मचर्य का पालन करें: भीष्म ने युधिष्ठिर से कहा कि ब्रह्मचर्य का पालन करना व्यक्ति की ऊर्जा को बचाए रखता है और उसे आयु के लिए उपयोगी बनाता है।
4. अहिंसा का पालन करें: भीष्म ने अहिंसा का महत्व बताया और कहा कि हमेशा अहिंसा का पालन करना चाहिए।
5. सत्य बोलें: भीष्म ने सत्य का पालन करने की प्रेरणा दी और कहा कि सत्य कहने और करने में हमेशा सतर्क रहें।
6. अध्ययन करें: भीष्म ने ज्ञान और विद्या के प्रति आकर्षण दिया और कहा कि हमेशा अध्ययन करते रहें।
7. पुत्रों का सम्मान करें: भीष्म ने युधिष्ठिर को सलाह दी कि उन्हें अपने पुत्रों का सम्मान करना चाहिए और उनके आदेशों का पालन करना चाहिए।
8. योग्य संगठन का चयन करें: भीष्म ने कहा कि व्यक्ति को अपने आप को उन लोगों के साथ संगठित करना चाहिए जो योग्य हों और उसके उन गुणों को बढ़ावा दें जो उसे सफलता और सुख दे सकें।
9. दान करें: भीष्म ने दान करने का महत्व बताया और कहा कि धन का यथार्थ उपयोग केवल दान करके होता है।
10. सत्संग करें: भीष्म ने सत्संग का महत्व बताया और कहा कि व्यक्ति को सदैव सत्संग करना चाहिए। सत्संग से उसकी आयु बढ़ती है और उसे मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक गतिविधियों में उच्चतम सफलता मिलती है।
11. भक्ति करें: भीष्म ने भक्ति का महत्व बताया और कहा कि व्यक्ति को ईश्वर में श्रद्धा और भक्ति रखनी चाहिए।
12. अज्ञान को त्यागें: भीष्म ने यह सिखाया कि हमेशा ज्ञान की तलाश में रहें और अज्ञान को त्यागें। ज्ञान प्राप्त करने से मनुष्य की आयु बढ़ती है और उसे जीवन के सार्थकता का अनुभव होता है।
 
 
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