 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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भगवान की पूजा करते समय या कभी-कभी एकांत में जप करने की विशेष महिमा है। फिर प्रश्न उठता है कि माला क्यों बनाई जाती है? उसके मनके 108 ही क्यों होते हैं?
माला मानव मन को एकाग्र करने में एक महान शिक्षा देती है। दूसरा, इसके माध्यम से व्यक्ति जल्दी से ईश्वर पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
108 मनकों से बनी इस माला का रहस्य जानने योग्य है ..
मानव शरीर की संरचना के अनुसार यह 1 मिनट में 5 बार सांस लेता है। इस गणना के अनुसार मनुष्य 24 घंटे में 21600 बार सांस लेता है। इसका उल्लेख हमारे शास्त्रों में भी मिलता है। मनुष्य रात के 12 घंटे में 10800 बार सांस लेता है।
स्वाभाविक है कि हर सांस के साथ ईश्वर को याद नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर मंत्र का जप ठीक से किया जाए तो हर मंत्र जप का 100 गुना फल मिलता है।
ऋषियों के इस कथन के अनुसार यदि अनुष्ठान के समय मंत्र का 108 बार जप किया जाए तो उसका फल 100 गुना होता है। उस हिसाब से माला में 108 मनके निकले। खगोल शास्त्र के अनुसार पृथ्वी की ऋतुएँ सूर्य-चंद्रमा के आधार पर चलती हैं।
प्राचीन ऋषि-वैज्ञानिकों ने सूर्य के मार्ग को 27 खण्डों में विभाजित कर प्रत्येक खण्ड में तारों के समूह को 'नक्षत्र' नाम दिया। इसी नक्षत्र माला के आधार पर हमारी माला की कल्पना की जाती है।
प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। अतः 27 नक्षत्र मिलकर कुल 108 सोपान बनाते हैं। इसलिए माला के मनकों की संख्या 108 रखी गई है।
माला से जप करना भगवान का ध्यान करने का एक बहुत ही उपयोगी साधन बन जाता है।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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