Published By:धर्म पुराण डेस्क

सर्दियों में अमृत है अमरूद 

अमरूद के इन प्रयोगों से आप बड़ी से बड़ी बीमारी दूर कर सकते हैं।

अमरूद शीत ऋतु में उत्पन्न होने वाला सस्ता एवं गुणकारी फल है। इसके फल से संपूर्ण भारतवासी परिचित हैं। इसका गूदा लाल व सफेद दो रंगों में पाया जाता है। इस फल का मूल उत्पत्ति स्थान अमेरिका है। 

भारत में यह फल यूरोप के निवासियों के सौजन्य से आया। इसका पेड़ 20-25 फीट तक ऊंचा होता है। इसके फल में विटामिन सी सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व भी पाए जाते हैं। बच्चों से लेकर सभी आयु वर्ग के स्त्री-पुरुषों के लिए यह बहुत ही पौष्टिक फल है। सामान्य रूप से प्रातः नाश्ते में खाली पेट इसका सेवन करना चाहिए। 

घरेलू प्रयोग-

अमरूद को काटकर सेंधा नमक व काली मिर्च लगाकर खाने से पेट की गैस व अपच आदि दूर होते हैं तथा अमरूद का स्वाद भी बढ़ जाता है। अमरूद के पत्तों का रस पिलाने अथवा इसका फल खाने से भांग का नशा उतर जाता है।

सूखी खांसी जिसमें कफ सूख जाता है और बहुत खांसने पर भी कफ नहीं निकलता तो सुबह के समय एक ताजा अमरूद चबाकर खाने से दो-तीन दिन में कफ ढीला होकर गिरने लगता है और खांसी में राहत मिलती है।

इसके ताजे कोमल पत्तों को चबाने अथवा इसका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छालों में आराम मिलता है एवं मुंह की दुर्गंध दूर होकर दांतों को मजबूती प्राप्त होती है।

सावधानी-

अमरूद के फल का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसके बीज दांतों के बीच ठीक से पिस कर ही पेट में जाए अन्यथा इसके बीज (साबुत) कभी-कभी जाकर अपेंडिक्स में फंस जाते हैं और अपेन्डिसाइटिस नामक रोग की उत्पत्ति के कारण बन जाते हैं जो शल्य क्रिया द्वारा ठीक होती है और कभी-कभी प्राणघातक भी हो जाती है।

बालेंदु कुमार पांडेय


 

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