Published By:धर्म पुराण डेस्क

Gupt Navratri 2023: कब शुरू हो रही हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि? Dus Mahavidya

यह नवरात्रि नवरात्रि का एक छोटा रूप है और इसे गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है। इस अवधि में दस महाविद्याओं (Dus Mahavidya) की पूजा की जाती है, जो माता दुर्गा की विभिन्न रूपों को प्रतिष्ठित करती हैं।

गुप्त नवरात्रि में पूजा विधि और अनुष्ठान नवरात्रि के अनुसार ही होते हैं। प्रतिदिन माता दुर्गा की पूजा, आरती और मंत्र जाप किया जाता है। यह नवरात्रि व्रतार्थी के लिए स्नान, व्रत, ध्यान, जाप, पूजा और पाठ करने का अच्छा समय माना जाता है। इस अवधि में माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का विशेष महत्व होता है और भक्तों को आशीर्वाद मिलता है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 की तिथि निम्नलिखित है:

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ: 18 जून 2023, सुबह 10 बजकर 06 बजे से।

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त: 19 जून 2023, सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर।

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत: 19 जून 2023 से उदया तिथि के हिसाब से।

गुप्त नवरात्रि 2023 की घट स्थापना (कलश स्थापना) का शुभ मुहूर्त निम्नलिखित है:

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त: 19 जून 2023, सोमवार को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से लेकर 07 बजकर 27 मिनट तक।

अभिजीत मुहूर्त: 19 जून 2023, सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट बजे तक।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, जिसे दस महाविद्या नवरात्रि भी कहा जाता है, 2023 में 19 जून से शुरू हो रही है। यह नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है और नौ दिन तक चलती है, जिसका समापन 27 जून को होगा। 

इस नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है और इसका महत्व तांत्रिक साधनाओं में बहुत ही उच्च माना जाता है। इस मात्रा में मां दुर्गा के दस रूपों की पूजा की जाती है और भक्तगण अपने जीवन को शुभता और समृद्धि से पूर्ण करने के लिए उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

गुप्त नवरात्रि का महत्व हिंदू धर्म में विशेष मान्यता रखा जाता है। यह नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है और नौ दिन तक चलती है। इसका नाम "गुप्त नवरात्रि" है क्योंकि इस नवरात्रि को ज्यादातर लोग अनदेखा करते हैं और वहाँ पर्वों की शोभा और धूम नहीं होती है। इसलिए इसे "गुप्त" नवरात्रि कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जो हैं:

1. काली,

2. तारा,

3. छिन्नमस्ता,

4. भुवनेश्वरी,

5. धूमावती,

6. बगलामुखी,

7. मातंगी,

8. कमलात्मिका,

9. मतंग भैरवी,

10. सिद्धिदात्री,

इन महाविद्याओं की पूजा से व्यक्ति मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करता है। इस मात्रा में विशेष तांत्रिक साधनाएं भी की जाती हैं और धार्मिक पुस्तकों और ग्रंथों की पठन पूजन भी की जाती है।

गुप्त नवरात्रि का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस समय माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का अवसर होता है और यह नवरात्रि विशेष आंतरिक शक्ति और सामरिक ऊर्जा का संचार करने का समय माना जाता है। इस प्रयास में माता की कृपा से व्यक्ति जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, समृद्धि, शक्ति और सफलता प्राप्त कर सकता है।

यह नवरात्रि भक्तों के लिए माता दुर्गा के आशीर्वाद का महान अवसर है और इसे नियमित रूप से आदर्श आचरण करके अपने जीवन को प्रशस्त बनाने का अवसर प्राप्त किया जा सकता है।

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