30 जून से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी. मनोकामना पूर्ति व साधना के लिए गुप्त नवरात्र विशेष फलदायी माने जाते हैं। इस बार गुप्त नवरात्र में कई विशेष संयोग रहेंगे। नवरात्र की शुरुआत ही कई शुभ योगों में हो रही है। इस लिहाज से यह गुप्त नवरात्र अत्यंत शुभ फलकारी होगी। इसमें किए गए कार्य और अनुष्ठानों में विशेष सफलता मिलेगी।
गुप्त नवरात्र के दौरान सभी दुर्गा मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना भी की जाएगी। हवन व यज्ञ किए जाएंगे। साधक इस दौरान गुप्त रूप से मातरानी की आराधना करेंगे।
दस महाविद्याओं की होती है साधना:
पंडित एनके शर्मा ने बताया कि हर साल चार बार नवरात्र आते हैं। इसमें दो प्रकट नवरात्र होते हैं, जबकि दो गुप्त नवरात्र माने जाते हैं। चैत्र माह और आश्विन माह में आने वाले नवरात्र प्रकट नवरात्र होते हैं। इनमें मां दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है। इसी प्रकार माघ और आषाढ़ माह में आनेवाले नवरात्र गुप्त नवरात्र होते हैं। इसमें आदिशक्ति की ही आराधना की जाती है लेकिन मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए गुप्त रूप से साधना की जाती है. इस दौरान दस महाविद्याओं की साधना होती है. गुप्त नवरात्र में मंत्र, तंत्र साधना आदि का विशेष महत्व माना गया है।
गुप्त नवरात्र 30 जून से प्रारंभ होंगे और आठ जुलाई तक रहेंगे। इस तरह नवरात्र पूरे नौ दिन के रहेंगे। इस नवरात्र में इच्छित मनोकामना पूर्ति के लिए कठिन साधना का विशेष महत्व माना गया है। ये आषाढ़ी नवरात्र भी कहलाते हैं। गुप्त नवरात्र के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग रहेगा। इसके साथ ही गुरुवार का दिन और पुनर्वसु नक्षत्र होने से नवरात्र में इस दिन सिद्धि योग भी बनेगा।
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