2023 में हलषष्ठी व्रत की तिथि 5 सितंबर है। हलषष्ठी, भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण पर्व है और इसे हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
हलषष्ठी व्रत पूजा विधि और नियम:
व्रत की तैयारी: पूजा की तैयारी के लिए सभी पूजा सामग्री, व्रत के नियम और कानूनी नियमों को पूरा करें।
उपवास: हलषष्ठी के दिन उपवास करें, जिसमें आपको एक महिला और एक पुरुष को बुलाना चाहिए, जो भगवान शिव और पार्वती का प्रतीकित करेंगे।
पूजा अर्चना: इस दिन पूजा अर्चना करें, भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को सुंदर रूप में सजाकर पूजें।
मंत्र जाप: भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे कि "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ नमः पार्वती पतये नमः।"
पूजा सामग्री: पूजा में धूप, दीपक, फूल, दाना, दूध, दही, गंध, सिंदूर, अक्षत, बेलपत्र, फल, और मिश्री का प्रसाद शामिल करें।
व्रत का खाना: व्रत के दिन केवल एक बार भोजन करें, जिसमें अन्न और दूध का सेवन कर सकते हैं। व्रत के दिन अनाज के बिना अन्य व्यंजन खाना चाहिए।
पानी: हलषष्ठी व्रत के दिन एक ही बार पानी पीने की अनुमति है, इसके बाद बिना पानी पिए रहना चाहिए।
पूजा का समापन: पूजा के बाद भगवान को प्रसाद चढ़ाकर उनकी कृपा की कामना करें और व्रत को समाप्त करें।
हलषष्ठी व्रत का महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा करके आप उनके आशीर्वाद से संतान सुख, खुशियाँ और शांति प्राप्त कर सकते हैं। इस व्रत को आपके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए विशेष रूप से माना जाता है और आपके परिवार की रक्षा करता है।
हलषष्ठी की पूजा कैसे की जाती है, उसके निम्नलिखित चरण होते हैं:
पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा की तैयारी के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:
* भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां,
* धूप, दीपक, अगरबत्ती,
* फूल, दाना, अक्षत (अनाज),
* दूध, दही, गंध, सिंदूर, मिश्री,
* बेलपत्र, फल (संतरा, केला, अन्य फल),
* पूजा के लिए कपड़ा, गांठा, और धागा,
पूजा स्थल की तैयारी: एक शुद्ध और पवित्र स्थल पर पूजा की तैयारी करें, जैसे कि पूजा अलंकरण की तालाबंदी करें और मूर्तियों को सुंदर ढंग से सजाकर रखें।
पूजा आरंभ: व्रत की तिथि के दिन सुबह को व्रत आरंभ करें। आपको अपने पूजा सामग्री को प्रथम भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित करनी होगी, जिसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का आरंभ करें।
पूजा अर्चना: मूर्तियों को धूप, दीपक, अगरबत्ती, फूल, दाना, अक्षत, दूध, दही, गंध, सिंदूर, मिश्री, बेलपत्र, और फल के साथ पूजने के बाद, आप मंत्रों के जाप करें। भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करके उन्हें प्रसन्न करें।
प्रसाद: पूजा के बाद, आपको पूजा सामग्री को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांटना होता है।
व्रत का खाना: हलषष्ठी के दिन व्रत के अनुसार खाना खाना चाहिए। आप एक बार अन्न और दूध का सेवन कर सकते हैं, लेकिन व्रत के नियमों का पालन करें और बिना पानी पिए रहें।
पूजा का समापन: पूजा के बाद भगवान को प्रसाद चढ़ाकर आप व्रत को समाप्त कर सकते हैं।
हरछठ (हलषष्ठी) की पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति विशेष भक्ति और समर्पण के साथ मनाने का अवसर माना जाता है, और यह संतान सुख और परिवार की सुरक्षा के लिए पूजा जाता है।
हरछठ की पूजा का समय सुबह को होता है, और भक्तगण इसे प्रातःकाल के समय विशेष ध्यान और भक्ति के साथ करते हैं।
हरछठ का व्रत कैसे करते है - हरछठ में क्या खाया जाता है.
हरछठ का व्रत अपनाने के लिए निम्नलिखित तरीके का पालन करें:
हरछठ व्रत की तैयारी-
व्रत की नियमों की समझ: पहले तो आपको हरछठ के व्रत की नियमों को समझना होगा। यह व्रत सुन्दर पतिव्रता माता पार्वती की कथा को याद करने के रूप में मनाया जाता है, और इसमें उपवास और पूजा का पालन किया जाता है।
व्रत की तैयारी: व्रत के दिन सभी पूजा सामग्री को तैयार करें, जैसे कि मूर्तियां, धूप, दीपक, फूल, अक्षत, दूध, दही, गंध, सिंदूर, मिश्री, बेलपत्र, और फल।
व्रत के दिन की प्रारंभिक तैयारी: व्रत के दिन सुबह को पूजा की तैयारी करें। आपको व्रत के दिन पूजा स्थल को शुद्ध और पवित्र करनी होगी, मूर्तियों को सजाना होगा और सभी पूजा सामग्री को तैयार करनी होगी.
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