Published By:धर्म पुराण डेस्क

परिश्रम-ईमानदारी ही अभावों का कारण ? जानिए आम धारणा का सच

सभी व्यक्ति उन सभी सुख-साधनों को प्राप्त करने के इच्छुक रहते हैं जो उन्हें अभावों से निकाल सकें। सभी व्यक्ति इस बात का अथक प्रयास करते हैं कि उन्हें ये सब सुख मिले जो दूसरे भोग रहे हैं। इसके लिए कुछ व्यक्ति ईमानदारी से काम करते हैं तथा कुछ व्यक्ति बेइमानी का सहारा लेते हैं।

अक्सर व्यक्तियों को एक प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाता कि जो व्यक्ति अथक परिश्रम करता है, ईमानदारी से रहता है वह हमेशा अभावों से घिरा रहता है तथा जो व्यक्ति दूसरों को सताता है, गलत साधनों से धन अर्जित करता है, बेईमानी करता है, झूठ बोलता है यह जीवन में सभी सुखों का उपभोग करता दिखाई देता है। इससे लोगों को लगता है कि अच्छे कर्मों का फल उन्हें नहीं मिल रहा है।

आम धारणा है कि जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है हमेशा सुखी रहता है, लेकिन प्रत्यक्ष में वह इससे उल्टा होता देखता है। इस बारे में विद्वानजनों का कथन है कि जिस प्रकार गत जन्मों के पुण्य वर्तमान जीवन के पापों को सफल बनाते रहते हैं उसी प्रकार गत जन्मों के पाप वर्तमान जीवन के धर्म को निष्फल करते रहेंगे इसकी पूरी संभावना है।

व्यक्ति को अपने पिछले सौ जन्मों तक का लेखा-जोखा किसी भी जीवन भोगना पड़ता है। जो व्यक्ति अथक प्रयास के बावजूद भी हमेशा परेशान रहता है तो निश्चित रूप से वह अपने बिते जन्मों का फल भोगता दिखाई देता है। इसलिये प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म ही करने का प्रयास करना चाहिये। सम्भव है कि उसे इन अच्छे कर्मों का फल आने वाले किसी जन्म में भोगने को मिल जायेगा।
 

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