Published By:धर्म पुराण डेस्क

हत्था जोड़ी, जिसे विरूपा, विरुपात और बिरवा के नाम से भी जाना जाता है, तंत्र शास्त्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह माँ महाकाली, चंडिका देवी और चामुंडा देवी का स्वरूप मानी जाती है।
हत्था जोड़ी की विशेषताएं:
यह एक दुर्लभ वनस्पति है जो भारत और नेपाल में कुछ विशेष स्थानों पर पाई जाती है।
यह पक्षी के पंजे या मनुष्य के हाथों के समान दिखती है।
यह तंत्र साधना और अभिचार कर्मों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
हत्था जोड़ी के लाभ:
सुख-शांति: घर में सुख-शांति लाने के लिए दीपावली या अबूझ मुहूर्त में हत्था जोड़ी को चांदी की डिब्बी में सिंदूर और गोमती चक्र के साथ रखा जाता है।
धन-धान्य: हत्था जोड़ी घर में धन-धान्य और संपत्ति में वृद्धि लाती है।
नकारात्मक ऊर्जा: यह घर को नकारात्मक ऊर्जा, नज़र और वायव्य बाधाओं से बचाती है।
मनोकामना पूर्ति: मनोकामना पूर्ति के लिए हत्था जोड़ी का उपयोग किया जाता है।
आकर्षण, मोहन, वशीकरण: हत्था जोड़ी आकर्षण, मोहन और वशीकरण के लिए भी प्रभावी है।
हत्था जोड़ी का उपयोग:
हत्था जोड़ी का उपयोग तंत्र साधना, अभिचार कर्मों, मंत्रों और यंत्रों में किया जाता है।
इसे चांदी की डिब्बी में सिंदूर और गोमती चक्र के साथ रखा जाता है।
इसे ताबीज के रूप में भी पहना जाता है।
हत्था जोड़ी प्राप्ति:
हत्था जोड़ी प्राप्त करना आसान नहीं है।
इसे विशेष स्थानों से प्राप्त किया जा सकता है।
इसे प्राप्त करने के लिए तंत्र साधना की आवश्यकता हो सकती है।
हत्था जोड़ी तंत्र शास्त्र का एक अद्भुत उपाय है। यह सुख-शांति, धन-धान्य, सुरक्षा, मनोकामना पूर्ति और आकर्षण, मोहन, वशीकरण के लिए प्रभावी है।
अस्वीकरण:
यह लेख केवल जानकारी प्रदान करता है। किसी भी तंत्र साधना, अभिचार कर्म, मंत्र या यंत्र का उपयोग करने से पहले योग्य गुरु या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
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