फिल्मों में हार्ट अटैक का दृश्य पूरे ड्रामे के साथ दिखाया जाता है। एक्टर छाती पर हाथ रखकर कुछ देर रहता है और फिर नीचे गिर जाता है। असल जिंदगी में जरूरी नहीं है कि हर किसी को हार्ट अटैक फिल्मों के ड्रामा भरे अंदाज में ही आए इसलिए हार्ट अटैक के सही लक्षणों को पहचानें और अपने परिजनों के साथ खुद की भी जान बचाएं।
शरीर की सभी अन्य मांसपेशियों की तरह हृदय को भी ठीक से काम करने के लिए खून की जरूरत होती है। दिल शिराओं और धमनी के माध्यम से पूरे शरीर में खून को पंप करता है। दिल तक खून पहुंचाने का काम कोरोनरी धमनियां करती हैं। यदि कोरोनरी धमनी ब्लॉक बनने के कारण अवरुद्ध हो जाएं तो हार्ट अटैक आता है।
कई कारणों से होता है हार्ट अटैक-
1. मोटापा और शारीरिक श्रम की कमी।
2. अधिक वसा व कोलेस्ट्रॉलयुक्त भोजन करना।
3. अत्यधिक तनावग्रस्त रहना एवं धूम्रपान करना।
4. अधिक शराब पीना।
5. परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास हो तो बढ़ जाती है हार्ट अटैक की आशंका।
क्या होते हैं हार्ट अटैक के लक्षण-
1. ठंडा पसीना आना एवं हल्के परिश्रम से सांस फूलना।
2. छाती में दर्द होना एवं सीने में जकड़न के साथ ऐंठन महसूस करना।
3. हाथों, कंधों, कमर या जबड़े में दर्द होना।
4, मितली आना, उल्टी होना।
महिलाओं में ये लक्षण भी देखें-
महिलाओं में हार्ट अटैक आने पर कुछ भिन्न लक्षण भी देखे जा सकते हैं। महिलाओं को हार्ट अटैक की शुरुआत होने पर त्वचा पर चिपचिपाहट, उनींदापन, सीने में जलन महसूस होना और सामान्य रूप से थकान महसूस होती है।
मरने वाली एक तिहाई महिलाएं दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं। कई बार महिलाओं को 'साइलेंट हार्ट अटैक' भी आता है जिसके कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं।
क्या है यह 'साइलेंट हार्ट अटैक'-
हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई नहीं देना, मरीज द्वारा लक्षणों को नजरअंदाज कर देना या फिर उन्हें समझ ही न पाना साइलेंट हार्ट अटैक के चिह्न हैं। हार्ट अटैक से उबरने के लिए अवरुद्ध रक्त प्रवाह को जल्द से जल्द शुरू करना सबसे ज्यादा जरूरी है। चूंकि साइलेंट हार्ट अटैक में मरीज या उसके परिजनों को इसका पता ही नहीं चल पाता, इसलिए उन्हें उबरने का कोई मौका भी नहीं मिलता। यही कारण है कि साइलेंट हार्ट अटैक ज्यादा घातक होते हैं।
क्या होते हैं एनजाइना के लक्षण-
एनजाइना का लक्षण होता है सीने में दर्द उठना, लेकिन कई मरीजों को इसका पता ही नहीं चल पाता। इसका अर्थ है कि उन्हें 'साइलेंट एनजाइना' हो जाता है। हार्ट अटैक के लक्षणों को कभी- कभी मरीज समझ ही नहीं पाता। इन लक्षणों को वो एसिडिटी, थकान, तनाव, घबराहट या पेट में गैसेस बनने जैसी समस्या समझ बैठता है और परिजनों या चिकित्सक को बताना उचित नहीं समझता। उसे लगता है कि थोड़ी देर में दर्द अपने आप ही कम हो जाएगा, लेकिन यह दर्द जानलेवा हो जाता है।
क्या रखें सावधानी-
खुद के अथवा अपने आसपास के लोगों की बीमारी के लक्षणों पर नजर रखें। यदि जरा भी शक हो कि मरीज को दिल का दौरा पड़ रहा है तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराएं।
हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में जानने और महसूस होने पर इन्हें समझना बहुत जरूरी है। कोई भी लक्षण महसूस होने पर चाहे वो हल्का ही क्यों न हो और कुछ ही समय के लिए हो, तुरंत चिकित्सकीय मदद के लिए संपर्क करें। इन्हें नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है। सही समय पर हुई मदद जीवन और मौत के फासले को बढ़ा सकती|
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