जब भी हम घर या मंदिर में भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं तो सीधे हाथों से ग्रहण करते हैं और प्रसाद ग्रहण करने के बाद हाथों को सिर के ऊपर फेरते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।
प्रसाद खाने के बाद सिर पर हाथ क्यों घुमाते हैं: हिंदू धर्म में भगवान की प्रसन्नता का उतना ही महत्व है जितना उनसे मिलने वाले प्रसाद का।
जब भी किसी घर या मंदिर में भगवान का प्रसाद मिलता है तो हम सभी अपने हाथों से प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रसाद खाने के बाद वही सीधा हाथ भी सिर के ऊपर ले जाया जाता है।
मंदिर या घर में देवता को भोग लगाने के बाद वही भोग प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। जहां एक ओर सीधे हाथों से प्रसाद ग्रहण करना शुभ और नियमानुसार माना जाता है।
वहीं प्रसाद खाने के बाद सिर के ऊपर हाथ फेरने से फल मिलता है। हाथों को सिर के ऊपर इसलिए घुमाया जाता है ताकि भगवान की कृपा (हम भगवान को भोग क्यों लगाते हैं) हमारे सिर तक पहुंच सके।
दरअसल वेद-पुराणों और धर्म-शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि व्यक्ति के शरीर में 7 चक्र होते हैं जो उसके भीतर गुण प्रदान करते हैं और योग का निर्माण करते हैं।
जब हम प्रसाद खाते हैं तो यह भगवान की कृपा का प्रतीक होता है। जब हम भोजन करने के बाद सिर पर हाथ फेरते हैं तो उस कृपा को हम मन तक पहुंचाते हैं।
प्रसाद ग्रहण करने का अर्थ-
प्रसाद में संबंधित देवताओं से जुड़े सिद्धांत होते हैं। दाहिने हाथ से प्रसाद ग्रहण करने का अर्थ क्रिया-शक्ति (क्रिया की ऊर्जा) को सक्रिय करना और उसकी सहायता से देवता के आशीर्वाद के रूप में सिद्धांतों को प्राप्त करना है।
दाहिने हाथ से प्रसाद ग्रहण करने से उसकी सात्त्विकता बनी रहती है; जबकि, इसे बाएं हाथ से स्वीकार करने से क्रिया-शक्ति के सक्रियण की कमी के कारण देवता के सिद्धांत में 10% की कमी होती है। साथ ही दाहिने हाथ से प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति की सूर्यनाड़ी सक्रिय होती है और उसका भाव जागृत होता है।
शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार जब हम प्रसाद ग्रहण करने के बाद अपने हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हैं तो इसका अर्थ यह भी होता है कि हम अपने से जुड़ी ऊर्जा को शांत कर रहे हैं।
अर्थात यदि ग्रह परेशान हों, किसी प्रकार का दोष हो, किसी प्रकार की कुदृष्टि हो तो इन सब प्रसादों के बाद सिर पर हाथ फेरने से शांति और मंगल होता है। इसलिए प्रसाद ग्रहण करने के बाद सिर पर हाथ फिराया जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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