Published By:धर्म पुराण डेस्क

घरेलू चिकित्सा आग से जलने पर क्या करें..

प्राय: लोग चूल्हा, स्टोव या गैस जलाते समय अग्नि की चपेट में आ जाते हैं। असावधानीवश कपड़े को अग्नि पकड़ लेती है।

कोई जलकर आत्महत्या की चेष्टा करते हैं। कभी-कभी मकान आदि के जल जाने पर लोग आग की चपेट में आ जाते हैं। 

यह एक संकटकालीन अवस्था होती है। जले व्यक्ति की प्राण रक्षा करने के लिए प्राथमिक उपचार क्या करना चाहिए, इसकी जानकारी अच्छी तरह से होनी चाहिये|

(1) आग की चपेट में आ जाने पर दौड़ना-भागना नहीं चाहिए। आग से सुरक्षित स्थान पर लेटकर इधर उधर लुढ़कना चाहिये। इससे आग जल्दी बुझ जाती है। जलते हुए कपड़ों को बड़ी सावधानी से ब्लेड या चाकू से काटकर अलग कर देना चाहिये ।

(2) जलते हुए व्यक्ति पर मिट्टी, कंबल आदि डालकर आग बुझाने का प्रयास करना चाहिये। कम्बल से इस प्रकार ढक दे कि हवा बंद हो जाए। इससे आग तुरंत बुझ जाएगी। कंबल आदि डालकर आग बुझाने से घाव की गहराई बढ़ जाती है और त्वचा काफी अंदर तक झुलस जाती है। पानी डालकर बुझाने से फफोले पड़ जाते हैं, पर घाव गहरे नहीं होते। यथाशीघ्र जो भी साधन उपलब्ध हो, उससे आग बुझाना चाहिये।

(3) जले हुए स्थान पर नारियल का तेल लगाना चाहिए। यदि गरम घी-तेल आदि गिरने से फफोले पड़ गये हों तो यह उपचार पर्याप्त है।

(4) यदि शरीर का अधिक भाग झुलस गया हो। तो चिकित्सालय में रोगी को ले जाना चाहिए। शरीर का अधिक भाग जल गया हो तो व्यक्ति के बचने की सम्भावना कम होती है।

(5) जले हुए स्थान को हलके-हलके रूई से साफ करके नारियल या जैतून का तेल आदि लगाना चाहिए। संक्रमण आदि से बचाने के लिये जीवाणुनाशक घोल-जैसे सोडा-बाई-कार्ब के घोल से धोना उचित है। मलहम लगाने से घाव देर से भरते हैं।

(6) खुले घाव में रूई चिपक जाती है। चिपकने पर उसे छुड़ाने की चेष्टा न करे, क्योंकि ऐसा करने से घाव बढ़ जायगा।

(7) घाव को सदैव ढक कर रखें जिससे मच्छर मक्खी आदि के बैठने से संक्रमण न हो ।

(8) फफोलों को फोड़े नहीं। इस पर तीसी या नारियल का तेल तथा मक्खन लगाये। भूलकर भी मिट्टी का तेल, पेट्रोल या स्प्रिट न लगाये।

(9) यदि छोटा बच्चा गलती से आग से झुलस जाये तो जले हुए हिस्से को पानी में तब तक डुबाये रखे जब तक जलन शांत न हो जाये। असली शहद का लेप करने से भी जलन शांत हो जाती है।

(10) रोगी को मुलायम आरामदायक बिस्तर पर लिटाये तथा पर्याप्त मात्रा में जल पिलाते रहे। पौष्टिक आहार दे तथा मानसिक रूप से सांत्वना देते रहे कि वह जल्द ठीक हो जाएगा। शरीर में जल का संतुलन बना रहे, इसके लिए ग्लूकोज चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है। चिकित्सक से परामर्श लेना भी आवश्यक है।


 

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