भगवान श्रीकृष्ण ने मोर पंखों को अपने मुकुट में रखकर उनका सम्मान किया है। ज्योतिष शास्त्र में मोर पंख के अनेक उपयोगों का वर्णन किया गया है, लेकिन ये उपाय तभी कारगर होते हैं, जब पंखों का स्वयं उपयोग किया जाता है।
मोर को देवताओं का पक्षी होने पर गर्व होता है। यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोर देवताओं के सेनापति कार्तिकेय और विद्या की देवी सरस्वती का वाहन है। नेपाल जैसे देशों में मोर को ब्रह्मा की सवारी माना जाता है। यह जापान, थाईलैंड आदि देशों में भी पूजनीय है। आयुर्वेद में भी मोर पंख को कई रोगों में कारगर माना गया है।
यही मोर पंख ज्योतिष और स्थापत्य कला के माध्यम से मनुष्य के लिए लाभकारी सिद्ध होता है।
घर के दक्षिण-पूर्व कोने में मोर पंख रखना या दीवार पर लगाना वरदान है और कभी भी अचानक परेशानी नहीं होती है।
मोर पंख को राधा-कृष्ण की मूर्ति के मुकुट में 40 दिनों तक एक मंदिर में रखा जाता है और हर शाम को मक्खन-मिस्र चढ़ाया जाता है। 41वें दिन मंदिर से मोर पंख लाकर घर ले आएं। फिर पंखों को घर की तिजोरी में, पैसे रखने के लिए दूसरी जगह या तिजोरी में रख दें। इस प्रयोग को करने से आप महसूस करेंगे कि आपके धन, सुख-समृद्धि में वृद्धि हो रही है। इस प्रयोग का एक और फायदा यह है कि आपके रुके हुए कार्य भी होने लगते हैं और आपको इसका लाभ मिलता है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि मोर पंख में कालसर्प दोष को दूर करने की शक्ति होती है। कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को सोमवार की रात अपने तकिये के अंदर सात मोर पंख लगाने चाहिए और उस तकिए या तकिये का रोजाना इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा ग्यारह मोर पंख शयन कक्ष की पश्चिम दीवार पर रखने से कालसर्प दोष से उत्पन्न बाधा दूर होती है।
यदि बच्चा अधिक जिद्दी है, तो मोर पंख को छत से लगे पंखे से लटका दें। ताकि जब प्रोपर हिले तो मोर पंख उस बच्चे को हवा का एहसास कराएं। इस प्रयोग को करने से बच्चे की जिद और गुस्सा धीरे-धीरे कम होगा।
मोर पंख घर की पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा की दीवार पर, जेब में या डायरी में रखने से राहु ग्रह कभी परेशान नहीं होता। इसके अलावा घर में सांप, मच्छर, बिच्छू आदि जैसे जहरीले कीड़ों का भी खतरा नहीं रहता है।
अगर बच्चा नींद में सो रहा हो और उसे कुछ दिख जाए तो वह बच्चे के गले में मोर पंख लगाकर ताबीज बनाकर पहन सकता है। बच्चा अकारण नहीं रोएगा।
शत्रुओं को अधिक पीड़ा हो तो मोर पंख पर हनुमानजी के सिर से सिंदूर लें और मंगलवार या शनिवार की रात शत्रु का नाम लिखकर पूरी रात घर के मंदिर में रखें। अगले दिन सुबह उठकर बहते पानी में मोर के पंखों को बहने दें। इस प्रयोग को करने से शत्रु शत्रुता पूर्ण हो जाएगा और मित्रता का व्यवहार करने लगेगा।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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