Published By:धर्म पुराण डेस्क

कैसे पड़ा काशी का वाराणसी नाम, जानिए शिवधाम के रोचक तथ्य

श्रावण में बाबा के भोलेनाथ और 12 ज्योतिर्लिंगों की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। 

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि वाराणसी में गंगा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में श्रावण मास में बाबा काशी विश्वनाथ का नाम जपने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

काशी यानी वाराणसी अनादि काल से अध्यात्म का केंद्र रहा है। हिंदू धर्म में इसे देवभूमि माना जाता है। दो नदियों वरुणा और असी के बीच स्थित होने के कारण इसका नाम वाराणसी पड़ा। काशी विश्वनाथ बारहवें ज्योतिर्लिंग में से सातवां ज्योतिर्लिंग है। 

आइए जानते हैं काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा और इस ज्योतिर्लिंग से जुड़े रोचक तथ्य।

* काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है 'ब्रह्मांड का शासक'|

* वाराणसी को भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित माना जाता है। कहा जाता है कि विनाश के बाद भी यह स्थान बना रहेगा।

* धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पवित्र गंगा नदी में स्नान कर यहां के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

* विश्वनाथ मंदिर के परिसर में काल-भैरव, विष्णु जी, गणेश जी के मंदिर हैं। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी के निर्माण के समय सूर्य की पहली किरण काशी पर पड़ी थी।

* भैरव बाबा को भगवान शिव का गण माना जाता है। उन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है। 

ऐसा माना जाता है कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन से पहले भैरव बाबा के दर्शन करने की परंपरा है, तभी इस दर्शन को महत्वपूर्ण माना जाता है।


 

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