 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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Happy Birthday to you कहा, मोमबत्तियों को फूंक मारकर बुझाया, तालियाँ बजाई साथ में, अन्य पदार्थों से बने खाद्य पदार्थ जिसे केक कहा जाता है, उसे बांटा, बस मन गया जन्मदिन।
छीं ! ना कोई हरि सुमिरन, ना दोक नमस्कार।
ऐसा प्रचलन चल पड़ा है। यह सर्वथा शास्त्र विरुद्ध है, अशुभ है, वह जातक जिसका जन्मदिन है, उसके लिए घोर अरिष्टप्रद होता है। दीप बुझना या बुझाना कितना अशुभ होता है। यह रहस्य तो आप जानते ही है, फिर जन्मदिन जैसे अति शुभ दिवस पर दीप जलाना तो दूर बल्कि बुझाये जाते है। यह बड़ी अशुभ परम्परा चल पड़ी है, जिससे देश की भावी पीढ़ी कुमार्गों की ओर प्रवृत्त हो रही है। पथभ्रष्ट हो रही है।
जन्म दिवस अति शुभ दिवस होता है। इसे वास्तविक रूप से ज्ञानपरक, अनिष्ट निवारक एवं शुभ वृद्धि के क्रमिक रूप में मनाना चाहिए।
जन्मदिन के शुभ अवसर पर प्रातः सूर्योदय से पूर्व जागें। सर्वप्रथम अपने दादा-दादी, माता-पिता, गुरु आदि को प्रणाम करके उनसे शुभाशीष ग्रहण करें। कार्यवश व्यक्ति परिवार से दूर रहता हो तो सर्वप्रथम सूर्य नारायण के दर्शन करके प्रणाम करें, गायत्री मंत्र 'ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥' का पाँच बार जाप करें।
स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ, नवीन वस्त्र धारण करें, शुद्ध आसन पर पूर्वाभिमुख बैठकर आचार्य को बुलाकर श्री गणेश, षोडश मातृकाएं, पंचलोक पाल, नवग्रहों का पूजन करें। कलश स्थापना करके वरुण पूजन करें।
आचार्य से स्वस्तिवाचन एवं शान्ति पाठ आदि वैदिक मंत्रों का पाठ एवं पुण्याहवाचन (आशीर्वचन व आशीर्वाद) करावें। विशेषतः वर्ष कुंडली के लग्नेश, मुंधेश एवं अनिष्ट दाता ग्रहों के निमित्त दान करें। हो सके तो ग्रहों (अनिष्ट दाता) के मंत्र का जाप भी करें।
देवों की पूजा के साथ- साथ शुभत्व व आयु तथा ज्ञान की वृद्धि हेतु दीर्घजीवी ऋषि एवं चिरंजीवी पुरुषों" मार्कण्डेय, भारद्वाज, कश्यप, अत्रि, विश्वामित्र, गौतम, वशिष्ठ, नारद, हनुमान जी, परशुराम जी, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, राजा बलि, व्यास जी, विभीषण आदि' का स्मरण व नमस्कार अवश्य करें। इनके स्मरण करने से आयु की वृद्धि एवं आरोग्यता बनी रहती है।
पूजनोपरांत आह्वाहित देवताओं के निमित्त हवन करें तथा यथाशक्ति ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देवें ।
'जन्मदिन पर तिल का प्रयोग आयु वृद्धि कारक होता है। तिल युक्त जल से स्नान करें, तिल से बनी वस्तुओं का दान तथा भोजन करें।'
जन्मदिन पर सूर्य नारायण को 'ॐ घृणिः सूर्याय नमः' मंत्र से अर्घ्य अवश्य देना चाहिए तथा गायत्री मंत्र व गुरु मंत्र का जाप भी अवश्य करना चाहिये। जितनी वर्ष की आयु पूर्ण हो चुकी हो, उतने ही दीपक भगवान के सामने जलाने चाहिये। अपनी कुलदेवी व कुलदेवता व पितरों को नमस्कार (मानसिक) करना चाहिये।
पूजा के बाद केसरिया रंग के वस्त्र में गुग्गल, नीम की पत्तियां, गोरोचन, सफेद या पीली सरसों तथा दूर्वा बांधकर किसी ब्राह्मण से अपनी दायीं भुजा में आयुष्य मंत्रों के द्वारा बंधाना चाहिए। इससे वर्ष भर अनिष्टों से रक्षा होती है।
उपरोक्त सम्पूर्ण विधान अत्यधिक वैज्ञानिकता पर आधारित है, जिनकी चर्चा पुनः कभी करेंगे। आप जन्मदिन इसी प्रकार मनाये। छोड़ देवें उस अनिष्टकारी परम्परा को, जिसमें दीप बुझाये जाते हैं।
वर्जित कार्य : जन्म दिन पर मांस-मदिरा का प्रयोग, तामसिक वस्तुओं का सेवन, पराई निंदा, कलह, हिंसा, यात्रा (लम्बी), स्त्री संग, जुआ आदि कर्मों का सदा त्याग करना चाहिये ।
अपने बड़े-बुजुर्गों द्वारा शुभाशीष ग्रहण करना सदा कल्याणकारी ही होता है।
 
 
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